1 समद कहते हैं कि इस बार महंगाई की मार सबसे अधिक है। पिछली बार की अपेक्षा इस बार बांस की कीमत भी बढ़ गयी है। इसके साथ ही पुतले को बनाने में प्रयोग में आने वाली नायलॉन, सूती धोती, रंग और तूतिया सहित मैदे के दाम में भी काफी इजाफा हो गया है, जिससे पुतलों की लागत बढ़ गयी है। तीनों पुतलों के निर्माण में लगभग 2 महीनों का समय लगता है और 10 कारीगर मिलकर पुतलों का निर्माण करते हैं।
2 पीढ़ियों से दशहरे के पर्व पर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ का पुतला बनाने का काम कर रहे अब्दूल समद सोरगर बताते हैं कि इस काम को करते हुए हमारी तीन पीढ़ियां गुजर गई। इसे करने में हमें दिल से खुशी मिलती है क्योंकि यह एक धार्मिक आस्था का काम है।
3 तेजी चौक में होने वाले पुतला दहन के लिए नगर निगम द्वारा रावण का 51 फीट ऊंचा पुतला तैयार किया जा रहा है, जिसे बनाने का काम मुस्लिम बंधु कर रहे हैं। यहां पिछले कई दशक से पुतले बनाने का काम मुस्लिम परिवार ही करते आ रहे हैं।