1 हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। वहीं इस त्यौहार के 6 दिन बाद भक्तों द्वारा भगवान श्री कृष्ण की छठी भी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण की छठी भी भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होती।
2 क्यों मनाते हैं छठी? सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार, छठी के दिन षष्ठी देवी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। बच्चे की रक्षक के लिए छठी मनाई जाती है।
3 कैसे मनाएं कान्हा की छठी? सुबह उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहन, कान्हा जी का पंचामृत से स्नान करवा कर नए वस्त्र के साथ विशेष श्रृगांर करें। फिर एक चौकी पर लाल या पीला आसन बिछाकर भगवान लड्डू गोपाल को विराजमान करें।
4 ऐसे करें कान्हा का पंचामृत तैयार- यह स्नान दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल जैसी पवित्र वस्तुओं से किया जाता है।
5 कान्हा का चंदन से तिलक करें और फूल माला अर्पित करें। फिर घी के दीपक जलाकर उनकी आरती करें। इसके बाद कढ़ी चावल, फल, मिठाई और खीर समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। भोग में तुलसी के पत्ते शामिल करना न भूलें। ऐसा माना जाता है कि भोग थाली में तुलसी के पत्ते शामिल न करने से प्रभु भोग को स्वीकार नहीं करते हैं।
6 आप माखन मिश्री का भोग भी लगा सकते हैं, लेकिन कृष्ण छठी के दिन लड्डू गोपाल को भोग लगाने के लिए कढ़ी-चावल बनाया जाता है। इसके बाद परिवार के सदस्यों और लोगों में प्रसाद का वितरण करें और प्रभु से सुख, शांति और समृद्धि में वृद्धि के कामना करें। लड्डू गोपाल का जयकारा लगाएं।