Zojila Tunnel Project Progress: कश्मीर में श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह के इलाके हर मौसम में जुड़े रहें, यह सपना सदा से रहा है। कभी अंग्रेजों ने इसके लिए सोचना शुरू किया था, लेकिन तब कश्मीर के इलाके में इतना निवेश फलदाई नहीं लगा। इसलिए इस पर कोई खास काम नहीं हुआ। लेकिन अब सरकार ने इस योजना पर तवज्जो देना शुरू कर दिया है। हर साल जब श्रीनगर, लेह और लद्दाख के इलाकों में भारी बर्फबारी होती है तो श्रीनगर-लेह-लद्दाख हाईवे बंद हो जाता है। इससे निजात पाने के लिए जोजिला टनल का निर्माण किया जा रहा है।
जोजिला टनल से जुड़ी टाइमलाइन
2005- जोजिला टनल की परिकल्पना की गई.
2013- सीमा सड़क संगठन ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की.
अक्टूबर 2013- कैबिनेट ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी.
मई 2017- टनल बनाने के लिए चार प्राइवेट कंपनियों एलएंडटी, आईएलएफएस, जेपी इंफ्राटेक और रिलायंस इंफ्रा ने बोली लगाई.
जुलाई 2017- IL&FS को प्रोजेक्ट मिला. कंपनी ने परियोजना के लिये 4,899.42 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी और इसे 2,555 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा था.
जनवरी 2018- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 साल में टनल बनाने को मंजूरी दी.
मई 2018- पीएम मोदी ने नींव रखी.
मार्च 2019- एक बार फिर टनल के लिए बोली लगी क्योंकि IL&FS दिवालिया हो गई.
जून 2020- बोली लगाने का काम शुरू हुआ.
अगस्त 2020- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को टनल बनाने का काम मिला. यह कॉन्ट्रैक्ट 4509.5 करोड़ का है.
अक्टूबर 2020- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विस्फोट कर टनल के निर्माण की शुरुआत की.
जोजिला टनल की खासियत
जोजिला टनल 14.15 किमी लंबी है.
यह टनल 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर जोजिला दर्रे के नीचे स्थित है.
श्रीनगर से लेह के बीच का सफर तीन घंटे से घटकर अब सिर्फ 15 मिनट का रह जाएगा.
श्रीनगर से लेह के रास्ते पर अब बर्फबारी की चिंता खत्म हो जाएगी.
इस सुरंग को बनाने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के एमडी कृष्णा रेड्डी का कहना है कि सुरंग के भीतर रोड के दोनों तरफ, हर 750 मीटर पर इमरजेंसी ले-बाई होंगे। दोनों तरफ साइडवॉक्स होंगी। यूरोपीय मानकों के अनुसार, हर 125 मीटर की दूरी पर इमरजेंसी कॉल करने की सुविधा होगी। पूरी सुरंग में ऑटोमेटिक फायर डिटेक्शन सिस्टम लगेगा। मैनुअल फायर अलार्म का बटन भी होगा। सुरंग की दीवारों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसकी सड़क पर वाहनों की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित की गई है। परियोजना पूरी होने के बाद यह टनल यातायात में लगने वाले वक्त और पैसे की काफी बचत करेगी।
इसके जरिए न सिर्फ आम लोगों को फायदा मिलेगा बल्कि सेना को भी फायदा मिलेगा क्योंकि तब कारगिल से लद्दाख तक पूरे साल उनका आवागमन संभव बना रहेगा. हर साल जब श्रीनगर, लेह और लद्दाख के इलाकों में भारी बर्फबारी होती है तो श्रीनगर-लेह-लद्दाख हाईवे बंद हो जाता है। अब कुछ ही साल की बात है और फिर इन इलाकों में साल भर बेरोकटोक आवाजाही होगी।