दुनिया में कैंसर किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। मुंह से लेकर पेट की अंतड़ियों तक के कैंसर होते हैं और हर कैंसर के साथ एक बड़ी समस्या यह होती है कि देर होने पर हालात काबू में नहीं रहते और मरीज की जान जाने का खतरा बढ़ता जाता है।
कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को दुनिया भर में विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। भारत में भी भयावह हुई कैंसर की समस्या लोगों में बहुत अधिक होती जा रही है। 2025 तक तो देश के 16 लाख लोग कैंसर का शिकार हो सकते हैं!
आम लोगों को जागरूक करने और विश्व कैंसर दिवस पर सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के चीफ ऑफ़ मेडिकल सर्विस डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि कैंसर जिसे सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौतें कैंसर से होती है। सबसे ज्यादा कैंसर के शिकार नशा करने वाली युवा पीढ़ी हो रही है। कैंसर के 70 फीसद केस तीसरे चरण में पहुंचते हैं अस्पताल। बढ़ते प्रदूषण और बदलते पर्यावरण के कारण आए दिन, तरह-तरह की नई बीमारियां लोगों को अपना शिकार बना रही हैं।
उन्होंने बताया कि भारत वर्ष में पुरुषों में फेफड़े, मुंह, भोजन की नली एवं पेट का कैंसर तथा स्त्रियों में स्तन और गर्भाशय का कैंसर विशेष रूप से हो रहा है। कैंसर की जल्द पहचान और जल्द उपचार ही इसका बचाव है। मूत्र, मल या योनि से रक्त आ रहा है स्तन या शरीर के किसी भाग पर गांठ है लंबे समय से बलगम आ रहा है सांस लेने में तकलीफ हो रही है भूख कम हो गई हो शरीर का वजन लगातार गिरता जा रहा हो शरीर का कोई घाव नहीं भर रहा हो हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिरता जा रहा हो तो जाँच ज़रूरी है।
कैंसर शब्द की उत्पत्ति
कैंसर शब्द की उत्पत्ति का श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (460-370 ईसा पूर्व) को दिया जाता है। इन्हें "चिकित्सा का जनक" भी माना जाता है।
सबसे कॉमन कैंसर
आम स्किन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लड कैंसर, मेलानोमा, लिम्फोमा, किडनी कैंसर हैं। महिलाओं में सबसे ज्यादा स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, सर्वाइकल, और थायराइड कैंसर होता है, वहीं, पुरुषों में फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लिवर का कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में विश्व भर में कैंसर के लगभग 1.81 करोड़ मामले आए, इसमें 96 लाख मरीजों को बचाया नहीं जा सका। इनमें से 70% मौतें भारत जैसे मध्य आय एवं कुछ अत्यंत गरीब देशों में हुईं। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि, दुनिया भर में कैंसर से हुईं 8% मौतें केवल भारत में हुई है।
सुझाव
तम्बाकू उत्पाद के उपयोग पर रोक लगे
विशेष रूप से ग्रामीण जनता में कैंसर की जानकारी के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को अति शीघ्र कदम उठाए जाएं।
जो लोग गुटका, पान-मसाला, पान में जर्दे आदि का प्रयोग करते हैं अथवा बीड़ी, सिगरेट, हुक्का जैसे धुम्रपान की आदतों के शिकार हैं उन सभी को आज धुम्रपान को नकारने का दिन है।
पिछले कुछ सालों में कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। आज के समय में कैंसर के लिए बेहतर जांच और इलाज उपलब्ध हैं, जिनकी बदौलत मरीज पहले से कहीं अधिक समय तक जीवित रह रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि नियमित जांच कराने से बीमारियां जल्दी पकड़ में आती हैं और उनका इलाज आसान हो जाता है।