आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता रविवार को ओचंदी बॉर्डर पर आयोजित किसान महापंचायत में पहुंचे। उन्होंने कहा किसानों के खेतों में बिजली के खंबे लगाने और बिजली के तार ले जाने की पॉलिसी अंग्रेजों के समय से चल रही है। वहीं किसानों को इसके बदले में कुछ नहीं मिलता। इसके बाद बोला जाता है कि दोनों तक 60 फुट जगह में कुछ नहीं बनेगा। इससे उनकी 120 फुट जमीन बेकार चली जाती है। इसमें आधे किले से ज्यादा जमीन बेकार चली जाती है।
उन्होंने कहा कि किसानों को इसका बाजार भाव का उचित मुआवजा मिलना चाहिए। इसको लेकर केंद्र सरकार को पॉलिसी बनानी चाहिए। अगर, दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र की बात हुई तो दिल्ली में यही पॉलिसी बनाई जाएगी और किसानों के हकों को लेकर फैसला लेगी। जरूरत पड़ी तो चंडीगढ़ से भी इस मुद्दे को लेकर किसानों की आवाज उठाई जायेगी।
उन्होंने कहा कि मैं खुद किसान परिवार से संबंध रखता हूं। अब किसानों की जमीन पर दादालाही दादागिरी को खत्म करने का समय आ गया है। किसानों के साथ सदियों से चली आ रही दादागिरी अब नहीं चलने देंगे। किसानों के खेतों से तार गुजरते हैं और इनको आज तक कुछ नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि पंजाब बॉर्डर से किसानों ने हरियाणा में दाखिल होना शुरू कर दिया है। मोदी सरकार के जुमलों ने हमेशा किसानों के साथ धोखा करने का काम किया है। उनके वादे को याद दिलाने के लिए किसान दिल्ली आना चाहते हैं, लेकिन सरकार ने किसानों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग और कंटीले तार लगा दिए हैं। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने पहले भी किसानों का स्वागत किया था और अब भी स्वागत करेंगे। न पहले जेल बनने दी और न अब दिल्ली में जेल बनने देंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और सरकार ने लाठियों के दम पर किसानों की आवाज को दबाने का काम किया है। आज से तीन साल पहले लंबा आंदोलन चला जिसमें 750 से ज्यादा किसानों ने शहादत दी थी। इन्होंने आज तक भी शोक प्रस्ताव पारित नहीं किया। किसान देश का अन्नदाता है। किसानों के साथ कोई भी पार्टी कोई भी कौम गद्दारी करती है तो उसको नर्क में भी जगह नहीं मिलती।
उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। किसानों के हितों के बात हुई तो हम 24 घंटे तैयार हैं। जहां तक बिजली के तारों को लेकर पॉलिसी बनाने की बात है, जल्द ही इसके लिए निर्णय किया जायेगा। पंजाब सरकार ने तो सबसे पहले किसानों को मुआवजा देने का काम किया था। हम तन मन धन से किसानों के साथ हैं।