Navratri 2024: शारदीय नवरात्र को भारत में लोग बेहद धूमधाम से मनाते हैं, जो नौ दिनों और रातों तक चलता है। नवरात्र का चौथा दिन देवी कुष्मांडा के रूप में मनाया जाता है। जो मां दुर्गा के नौ अवतारों में से एक हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने सिद्धिदात्री का रूप धारण करने के बाद ऊर्जा और प्रकाश को संतुलित करने के लिए इस रूप को धारण किया था, जो साधक माता रानी के इस अवतार की पूजा करते हैं, उन्हें सूर्य जैसे तेज की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाओं भी पूरी होती है।
कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्माण्डा का वाहन सिंह है और आदिशक्ति की 8 भुजाएं हैं। इनमें से 7 हाथों में कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, कमण्डल और कुछ शस्त्र जैसे धनुष, बाण, चक्र तथा गदा हैं। जबकि, आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। ऐसा उल्लेख मिलता है कि, माता को कुम्हड़े की बलि बेहद प्रिय है। वहीं कुम्हड़े को संस्कृत में कूष्माण्ड कहते हैं।
क्या भोग लगाएं?
नवरात्रि के पांचवें दिन मां कुष्मांडा को आटे और घी से बने मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से भक्त को बल-बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है।