अपनी कॉमेडी और मजेदार चुटकुलों से सबके चेहरे पर हंसी लाने वाले, हम सभी के प्यारे 'गजोधर भैया' अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। हमेशा लोगों को हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav)
का 21 सितंबर की सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर निधन हो गया। करीब 42 दिन से मौत से जंग लड़ रहे राजू श्रीवास्तव आखिरकार सबको रोता-बिलखता छोड़ गए। 22 सितंबर को निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया और इस तरह वो सितारा हमेशा के लिए खामोश हो गया, जिसने अपनी रोशनी से लोगों की जिंदगी को रोशन किया। राजू श्रीवास्तव आज पंचतत्व में विलीन हो गए। फैंस के साथ-साथ परिवार का भी रो-रोकर बुरा हाल था। राजू के जाने से उनका पूरा परिवार पूरी तरह टूट चुका है।
राजू श्रीवास्तव का इलाज दिल्ली के एम्स जारी था। डॉक्टरों की एक टीम दिन-रात उनकी निगरानी कर रही थी। राजू श्रीवास्तव के निधन के बाद एम्स में ही उनका नई तकनीक से पोस्टमार्टम किया गया। इस वर्चुअल ऑटोप्सी में 15 से 20 मिनट का वक्त लगा। इसके बाद राजू श्रीवास्तव का पार्थिव शरीर परिवार को दे दिया गया। इसके बाद राजू के पार्थिव शरीर को उसी दिन दशरथपुरी ले जाया गया। दशरथपुरी में राजू श्रीवास्तव के भाई रहते हैं। यहां पर उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के रखा गया। राजू श्रीवास्तव के आखिरी दर्शन के लिए आने-जाने वालों का भारी संख्या में तांता लग गया था। राजू का चेहरा देख हर किसी की आंखों से आंसू छलक रहे थे।
पंचतत्व में विलीन हुए राजू श्रीवास्तव
22 सितंबर को करीब 11 बजे के आसपास राजू श्रीवास्तव का पार्थिव शरीर निगमबोध घाट पहुंचा। साथ में परिवार के लोग भी मौजूद रहे। घाट पर पहुंचने के बाद राजू श्रीवास्तव के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया राजू के बेटे आयुष्मान के द्वारा पूरी की गई। इससे पहले सुबह 9:30 बजे के आसपास राजू श्रीवास्तव की अंतिम यात्रा दशरथपुरी से निकाली गई थी। उनके पार्थिव शरीर को एंबुलेंस में रखकर निगमबोध घाट तक लाया गया। एंबुलेंस को फूलों से सजाया गया था और उस पर राजू श्रीवास्तव की तस्वीर को लगाया गया था। निगमबोध घाट में 'राजू श्रीवास्तव अमर रहें' के नारे भी लग रहे थे।