सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पराली न जलाने वाले किसानों को सौ रुपये प्रति क्विंटल मिलने वाले मुआवजे को लेकर पंजाब सरकार ने फिर से नियम बदल दिए हैं। अब एक नहीं बल्कि दो से तीन जगह पर वेरीफाई होकर किसानों को भुगतान होगा।
अब फिर सरकार ने नियमों में बदलाव करके पोर्टल को खोलने का फैसला किया है। अब किसानों के फार्म पर अब संबंधित गांव के सरपंच के अलावा पंचायत सचिव के भी हस्ताक्षर होंगे। इन सभी फार्मों को पंचायत सचिव कोऑपरेटिव विभाग के पास ऑनलाइन डाटा अपलोड करने के लिए भेजेगा। पंचायत सचिवों को गांव में पराली जलाने की घटनाओं का भी पूरा रिकार्ड रखना होगा ताकि इसे एसडीएम और डीसी देखना चाहें तो देख सकें।
पंचायत सचिवों की ओर से भेजे गए रिकार्ड, स्कैन किए गए फार्म जिसे सहकारी सोसायटियां अपलोड करेंगी उन्हें अब संबंधित इलाके के सहायक रजिस्ट्रार भी अप्रूव करेंगे। दूसरी ओर इस रिकार्ड की जांच अब पटवारियों के अलावा तहसीलदार से भी करवाई जाएगी। अधिकारियों को यह बताना होगा कि आवेदक के परिवार के पास कितनी जमीन है, कितने एकड़ में गैर बासमती धान की फसल लगाई गई और गिरदावरी के अनुसार कितनी जमीन पर पराली को जलाया गया है।
एसडीएम रिमोट सेंसिंग रिपोर्ट और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से इसे वेरीफाई करके डीसी को अप्रूवल के लिए भेज देंगे। डीसी मुआवजा देने के लिए इन केसों को खेतीबाड़ी विभाग के डायरेक्टर के पास भेजेंगे। डायरेक्टर पास हुए केसों को संबंधित बैंकों को भेज देंगे ताकि राशि किसानों के खातों में भेजी जा सके।