वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजी क्षेत्र के 20 बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की और उनसे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के आपात कर्ज सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा। बता दें कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से एमएसएमई क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
ईसीएलजीएस पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए सोमवार को हुई बैठक में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के सीईओ भी शामिल हुए। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा, 'ईसीएलजीएस के प्रभावी क्रियान्वयन और कठिन समय में घरेलू एमसएमई क्षेत्र को सुचारू नकदी उपलब्ध कराने के लिये वित्त मंत्री की अध्यक्षता में प्रमुख निजी बैंकों और एनबीएफसी की बैठक हुई। बैठक में वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा भी मौजूद थे।'
एक अन्य ट्वीट में वित्तीय सेवा विभाग ने कहा, 'एमएसएमई के लिये ईसीएलजीएस के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय सेवा विभाग के सचिव और सिडबी के साथ निजी क्षेत्र के 20 बैंकों और एनबीएफसी के प्रमुखों के साथ बैठक की।' सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आपात कर्ज सुविधा गारंटी योजना के तहत 11 जून तक 29,490.80 करोड़ रुपये कर्ज को मंजूरी दी।
इसमें से 14,690.84 करोड़ रुपये आबंटित किए जा चुके हैं। पिछले महीने घोषित 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में एमएसएमई एवं छोटे उद्योगों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का बिना गारंटी की आपात ऋण सुविधा की घोषणा की गई। बता दें कि मंत्रिमंडल ने 21 मई को ईसीएलजीएस के तहत एमएसएमई क्षेत्र को 9.25 प्रतिशत रियायती दर 3 लाख करोड़ रुपये की कर्ज सुविधा को मंजूरी दी थी।