First Hindu Temple In Abu Dhabi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने इसे मानवता की साझा विरासत का प्रतीक बताया और मानव इतिहास का एक नया सुनहरा अध्याय लिखने के लिए संयुक्त अरब अमीरात को धन्यवाद दिया। इस दौरान यूएई के सहिष्णुता मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान और विभिन्न धर्मों के आध्यात्मिक गुरु उपस्थित रहे।
बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा निर्मित मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने अबू धाबी में भव्य मंदिर को वास्तविकता बनाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने खाड़ी देश में रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ 140 करोड़ भारतीयों का भी दिल जीत लिया।
वहीं, एक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि बीएपीएस मंदिर पूरी दुनिया के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और वैश्विक एकता का प्रतीक बन जाएगा।" इस दौरान पिछले महीने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अबू धाबी में बीएपीएस मंदिर के उद्घाटन का साक्षी बनना उनका सौभाग्य है।
उन्होंने कहा, "अयोध्या में हमारी असीम खुशी आज अबू धाबी में मिली खुशी की लहर से और बढ़ गई है। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं पहले अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर और फिर अबू धाबी में इस मंदिर का साक्षी बना हूं।" पीएम मोदी ने कहा, "अभी पिछले महीने, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सदियों पुराना सपना पूरा हुआ। रामलला अपने भवन में विराजमान हैं। पूरा भारत और हर भारतीय अब भी उस प्रेम की भावना में डूबा हुआ है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल भारत के अमृतकाल का समय नहीं है, यह हमारी आस्था और संस्कृति के अमृत काल का भी समय है। उन्होंने कहा, ‘‘हम विविधता में द्वेष नहीं देखते, हम विविधता को अपनी विशेषता मानते हैं। इस मंदिर में हमें हर कदम पर विविध आस्थाओं की झलक मिलेगी।’’
उन्होंने कहा कि यूएई ने अब अपनी पहचान में एक और सांस्कृतिक अध्याय जोड़ा है जिसे अब तक बुर्ज खलीफा, फ्यूचर म्यूजियम, शेख जायद मस्जिद और अन्य हाई-टेक इमारतों के लिए जाना जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आएंगे। इससे यूएई आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी और दोनों देशों के बीच लोगों का आपसी संपर्क भी बढ़ेगा।’’
वहीं, भव्य मंदिर को साकार करने में यूएई के राष्ट्रपति के योगदान की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘‘अगर इस भव्य मंदिर को वास्तविकता बनाने में किसी की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका है, तो वह कोई और नहीं बल्कि मेरे भाई शेख मोहम्मद बिन जायद हैं।’’ मोदी ने कहा कि यूएई सरकार ने करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरे दिल से काम किया है।
उन्होंने कहा कि यूएई सरकार ने न केवल यूएई में रहने वाले भारतीयों का बल्कि सभी 140 करोड़ भारतीयों का दिल जीता है। इससे पहले, हल्के गुलाबी रंग का रेशमी कुर्ता पजामा, बिना बांह वाली जैकेट और पटका पहने हुए प्रधानमंत्री ने मंदिर के लोकार्पण समारोह में पूजा विधि में भाग लिया। मोदी ने याद किया कि स्वामी ब्रह्मविहारी ने कहा था कि पूजा स्थल के सूक्ष्म विवरणों को जानने में गहरी रुचि दिखाने के बाद मंदिर का पुजारी बनना उनके लिए अच्छा होगा।
सभा में भारत ‘माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों के बीच पीएम मोदी ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि मैं किसी मंदिर का पुजारी बनने के लायक हूं या नहीं, लेकिन मुझे मां भारती का पुजारी होने पर गर्व है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ईश्वर ने मुझे जो समय दिया है, उसका एक-एक क्षण और मेरे शरीर का एक-एक कण, जो ईश्वर ने मुझे दिया है, वह केवल मां भारती के लिए है। 140 करोड़ देशवासी मेरे पूज्य देवता हैं।’’
PM ने कहा कि इस मंदिर में हर कदम पर इस आत्मविश्वास की झलक मिलती है जो मानवता में विश्वास को मजबूत करती है। उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर की दीवारों पर, हिंदू धर्म के साथ, आप मिस्र के चित्रलिपि देखेंगे। बाइबिल और कुरान की कहानियां उकेरी गई हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर आपको सद्भाव की दीवार देखने को मिलती है जिसे बोहरा मुस्लिम समुदाय के हमारे भाइयों ने बनाया है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मंदिर में प्रभावशाली 3डी अनुभव की शुरुआत पारसी समुदाय के सदस्यों ने की और लंगर की जिम्मेदारी सिख भाइयों ने ली।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "हर धर्म और संप्रदाय के सदस्य इस मंदिर के निर्माण के लिए आगे आए हैं। इस मंदिर के सात स्तंभ सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह भारतीय लोगों का स्वभाव है। हम जहां भी जाते हैं, उनकी संस्कृति और मूल्यों का सम्मान करते हैं और उन्हें आत्मसात करते हैं। हर आस्था के प्रति सम्मान का यह पहलू शेख मोहम्मद के जीवन में भी दिखता है।"
बता दें कि मंदिर के उद्घाटन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री ने मंदिर में कृत्रिम रूप से तैयार की गईं गंगा और यमुना नदियों में जलार्पण भी किया। प्रधानमंत्री ने मंदिर में हथौड़े और छेनी का उपयोग करके पत्थर पर ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ भी अंकित किया। मंदिर अधिकारियों के अनुसार, शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों एवं हिंदू ग्रंथों में उल्लेखित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार भव्य मंदिर बनाया गया है। संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद श्रद्धालुओं को गर्मी में भी इन टाइल पर चलने में दिक्कत नहीं होगी। मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है।