पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की इन दिनों मुश्किलें कम होने का नाम नहीं दे रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में बहुमत नहीं मिलने के बावजूद, उन्होंने कहा कि गुरुवार को संकेत दिए हैं कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। इसके साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह रविवार को होने वाले "अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान" का सामना करेंगे, और उसके बाद ही कोई फैसला लेंगे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने गुरुवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो कुछ नतीजा हो, वह हर परिस्थिति में अधिक मजबूत होकर लौटेंगे। आपको बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को उनके पद से हटाने के लिए विपक्ष की कोशिश को नाकाम करने के लिए 342 सदस्यीय संसद के नेशनल असेंबली में 172 वोट की जरूरत है। अगर विपक्ष 172 वोट हासिल कर लेता है तभी इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से बेदखल कर पाएंगे।
पाकिस्तान की आवाम के नाम अपने संबोधन में इमरान खान ने ‘धमकी वाले एक पत्र’ पर भी चर्चा की, जिसे उन्होंने कथित तौर पर उनकी गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विदेशी साजिश का ‘सबूत’ बताया। इमरान खान ने इस धमकी के पीछे अमेरिका का नाम लिया, जो शायद जुबान फिसलने के कारण ऐसा हुआ।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि हमारी नीति अमेरिका विरोधी, यूरोप, या यहां तक कि भारत विरोधी नहीं थी। अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय कानून को नई दिल्ली द्वारा तोड़ने और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद यह भारत विरोधी हो गई। भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू कश्मीर हमेशा ही देश (भारत) का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि यह पत्र मेरे खिलाफ है ना कि सरकार के खिलाफ, उन्होंने कहा कि पत्र में कहा गया है कि अविश्वास प्रस्ताव सौंपने से पहले ही पेश किया जा रहा है। जिसका मतलब है कि विपक्ष उनके संपर्क में था। उन्होंने आगे कहा कि यह एक आधिकारिक पत्र था जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था। जो बैठक के दौरान (नोट) टिप्पणी लिख रहे थे।
प्रधानमंत्री इमरान खान इस संबंध में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के मौलाना फजलुर रहमान का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि क्या दूसरे देश ऐसे भ्रष्ट लोगों को अपने राज्यों में सत्ता में चाहते हैं? इमरान ने आगे कहा कि जब वे ऐसे भ्रष्ट नेताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन मैं उन्हें स्वीकार्य नहीं हूं।