दिल्ली विधानसभा का आज मॉनसून सत्र खत्म हो गया है। इस सत्र के आखिरी दिन दिल्ली सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। यह प्रस्ताव आप के विधायक जरनैल सिंह द्वारा सदन के पटल पर रखा गया। इस दौरान जरनैल सिंह ने कहा कि आठ महीने से किसान कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे है। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि काले कानूनों के खिलाफ कर रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान 600 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवा दी है। लेकिन पीएम मोदी ने अभी तक संवेदना तक व्यक्त नहीं की।
प्रदर्शनकारियों ने आत्महत्या से पहले सुसाइड नोट भी लिखा है। केंद्र का सभी किसानों से जमीन छीनकर उन्हें राशन की दुकान पर लाइन में लगाने की योजना है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में ये बिल कैसे पारित करवाया गया ये किसी से छुपा नहीं है। जरनैल सिंह ने कहा कि इस सिस्टम पर शर्म आता है जो अपने लोगों के बारे में नहीं सोचता। देश की महिलाओं ने पहली बार जंतर मंतर पर संसद भी लगाई। ये सदन इस बात की सिफारिश करता है कि केंद्र सरकार किसानों से बात करे और जल्द से जल्द इन कानूनों को वापिस लें।
दिल्ली के जंतर मंतर पर जारी 'किसान संसद' के सातवें दिन बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की गई जो पिछले साल लाया गया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसान संसद' ने प्रस्ताव पारित किया है कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 या 2021 को तत्काल वापस लिया जाए। एसकेएम ने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र में बिजली संशोधन विधेयक 2020 को सूचीबद्ध करना स्तब्ध करने वाला निर्णय है जबकि सरकार पिछले साल दिसंबर से इसे वापस लेने का आश्वासन दे रही है। बयान में कहा गया कि सरकार द्वारा किसानों को 30 दिसंबर 2020 को आश्वासन दिया गया था कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 वापस लिया जाएगा, जिससे पीछे हटने पर 'किसान संसद' स्तब्ध है।