इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यौन हिंसा से पीड़ित नाबालिग बालिकाओं के मामलों में प्रतिनिधि का कार्य करने के लिए महिला वकील (Female Advocate) की कानूनी सेवा समिति में नियुक्ति की सलाह दी है। कोर्ट का कहना है कि सुनवाई के वक्त यह देखा गया है कि कमेटी (Committee) की तरफ से जो वकील पेश किए जाते है उनमें महिला वकीलों की काफी कमी है।
कोर्ट ने कहा कि काफी ऐसे केस होते है जिनमें महिला वकीलों की उपस्थिति अनिवार्य है किंतु ऐसे केसों में महिला वकील पीड़ितों का बहुत कम प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं। यह समीक्षा न्यायमूर्ति अजय भनोट (Justice Ajay Bhanot) ने जौनपुर में आशीष यादव एक केस की जमानत अर्जी खारिज करते वक्त दी है। आशीष यादव एससी/एसटी और पॉक्सो एक्ट का आरोपी है।
आपको बता दें कि ,यदि अपराधी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का है तो प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 (POCSO) कोर्ट के अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत इस मामले की सुनवाई का अधिकार समाप्त नहीं होता। आरोपी ने हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए याचिका डाली थी जिसको कोर्ट ने खारिज करते समय कहा कि हाईकोर्ट की कानूनी सेवा समिति की ओर से काफी कम महिला वकील पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं। अपराधी अभी भी जेल में हैं।