दुनियाभर में एचआईवी के संक्रमण को रोकने के लिए 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों में एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम) महामारी के प्रति जागरुकता को बढ़ाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 1857 के अगस्त में विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर मनाने की शुरुआत की गई थी। एड्स दिवस के दिन दुनियाभर में सरकार, स्वास्थ्य अधिकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा एड्स के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है।
आज के इस आधुनिक समय में एड्स सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यह एक प्रकार की जानलेवी बीमारी है। जिसे मेडिकल की भाषा में ह्यूमन इम्योनोडिफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है। ये बीमारी व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को कम करता है। जिसकी कारण शरीर किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता है। एचआईवी को आम बोलचाल की भाषा में एड्स बोला जाता है।
एड्स दिवस का उद्देश्य
वर्ल्ड एड्स डे मनाये जाने का उद्देश्य एजआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के जागरुकता को बढ़ाना है। UNICEF की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 36.9 मिलियन से ज्यादा लोग एचआईवी के शिकार हो चुके हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 2.7 मिलियन के आसपास है