पीएफआई (Popular Front Of India) के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई लगातार जारी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, एक संयुक्त ऑपरेशन में प्रदेश भर में यूपी एटीएस व यूपी एसटीएफ के सात नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है।
इसके पहले, टेरर फंडिंग पर शिकंजा कसने के लिए एनआईए ने देश भर में छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में छापेमारी के दौरान 100 से ज्यादा पीएफआई के सदस्यों को हिरासत में लिया गया है।
क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को किया गया था। ये संगठन दक्षिण भारत (South India) में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई और कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी शामिल थे।
पीएफआई का यह दावा है कि इस वक्त देश के करीब 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट (Students Islamic Movement) यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार काफी तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की पकड़ काफी मजबूत बताई जाती है। इसकी अलग-अलग राज्यों में कई शाखाएं भी हैं।
इसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट (National Women Front) और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (Campus Front of India) जैसे संगठन शामिल हैं। यहां तक कि चुनाव के वक्त राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाती रही हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी (antisocial) और देश विरोधी गतिविधियां (anti national activities) करने के आरोप लगते रहते हैं।