भारत के ईरान से तेल की खरीदारी बंद करने के फैसले को लेकर ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ का बयान सामने आया है। अपने बयान में उन्होने कहा है कि भारत अमेरिका के दबाव में आकर फैसले ले रहा है। भारत को अपनी रीढ़ और मज़बूत करनी चाहिए ताकि हमारे ऊपर प्रतिबंधों को लेकर अमरीका के दबाव के सामने झुकने से इनकार कर सके।
उन्होंने कहा कि अमरीकी प्रतिबंधों से पहले उन्हें उम्मीद थी कि भारत ईरान का सबसे बड़ा तेल ख़रीदार देश बनेगा। उन्होंने कहा कि अमरीकी दबाव के सामने भारत को और प्रतिरोध दिखाना चाहिए। ज़ारिफ़ ने कहा, ईरान इस बात को समझता है कि भारत हम पर प्रतिंबध नहीं चाहता है लेकिन इसी तरह वो अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को भी नाराज़ नहीं करना चाहता है। लोग चाहते कुछ और हैं और करना कुछ और पड़ रहा है। यह एक वैश्विक रणनीतिक ग़लती है और इसे दुनिया भर के देश कर रहे हैं।
पिछले साल ट्रंप ईरान के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से बाहर निकल गए थे। ट्रंप का कहना था कि ईरान परमाणु समझौते की आड़ में अपना परमाणु कार्यक्रम चला रहा है। इसी समझौते के तहत ईरान से 2015 में अमरीकी प्रतिबंध हटा था लेकिन ट्रंप ने फिर से इन प्रतिबंधों को लागू कर दिया था। अमरीकी प्रतिबंधों के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से ठहर गई है। भारत ने भी इन्हीं प्रतिबंधों के कारण ईरान से तेल ख़रीदना बंद कर दिया। ईरान ने भारत को ये सुविधा दे रखी दी थी कि तेल का भुगतान अपनी मुद्रा रुपया में करे।