Himachal Pradesh News: हिमाचल के लोग जितनी पैसा बैंकों में जमा कर रहे, उसके अनुपात में वे ऋण नहीं ले रहे। राज्य के सात जिलों के लोग बैंकों से कर्ज लेने से कतरा रहे। इन जिलों में लोगों का 50 से 60 फीसदी पैसा बैंकों में जमा रह जाता है। वे उसका इस्तेमाल स्वरोजगार, कारोबार, सुविधाएं और संसाधन जुटाने में भी नहीं कर रहे। सात जिलों बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, लाहौल-स्पीति, मंडी और ऊना में ऋण जमा अनुपात 33 फीसदी से कम है। कम ऋण जमा अनुपात होने से सरकार भी चिंतित है।
औद्योगिक जिला सोलन और सिरमौर के बैंकों का प्रदर्शन सीडी रेशो यानी क्रेडिट-डिपोजिट रेशो में सबसे बेहतर है। यहां बैंकों की सीडी रेशो 70 फीसदी से ज्यादा है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कम सीडी अनुपात के कारणों की पहचान करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए जिला स्तर पर विशेष सब कमेटियां गठित करने को कहा है। बुधवार को राजधानी शिमला में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 174वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव ने सभी बैंकों को सीडी रेशो में सुधार करने के लिए कहा है।
मुख्य सचिव ने बैंकर्स समिति को प्रति माह सीडी रेशो की समीक्षा करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि सीडी रेशो यह दर्शाता है कि बैंकों ने निर्धारित जमा पैसे में से कितना उधार दिया है। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कम अनुपात यह संकेत देता है कि बैंक अपने ढांचे का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहे।
ऐसे में बैंकों से और अधिक सक्रियता दिखाने की अपेक्षा है। सरकार की चिंता की वजह यह भी है कि उसकी स्वरोजगार से जुड़ी कई योजनाएं ऋण आधारित हैं। ऋण जमा अनुपात कम होने का एक संकेत यह भी है कि लोगों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रहा है।