सरकार ने मिट्टी के चूल्हे और उससे फैलने वाले धुएं को खत्म करने उद्देश्य से गरीबों को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त में गैस सिलेंडर बांटे गए लेकिन अब घरेलू गैस की बढ़ती कीमतों व सब्सिडी बंद होने के कारण ज्यादातर गरीब परिवारों ने सिलेंडर भरवाने बंद कर दिए। भूना में करीब 5863 कनेक्शनधारक सिलेंडर नहीं भरा पा रहे।
भूना में 11723 उज्जवला कनेक्शन है। इनमें से सिर्फ 5860 के लगभग ही गैस सिलेंडर भरे जा रहे हैं। इसके पीछे कहीं पर आर्थिक तंगी तो कहीं लकड़ी और उपले से खाना बनाने की वजह भी सामने आया है।जिला पूर्ति एवं सहायक डिलिंग अधिकारी संदीप सांगवान का कहना है कि गैस के दाम बढ़ने के अलावा अन्य संसाधनों की वजह से भी गैस नहीं भरवाए जा रहे हैं। गरीब लोग ज्यादातर गैस की जगह चूल्हे का अधिकतम इस्तेमाल कर रहे है। महंगाई की मार के चलते भी उज्जवला योजना के लाभार्थीथियो की गैस सिलेंडर भरवाने में कमी दर्ज हो रही है।
महंगाई की भेंट चढ़ गई सरकार की मुहिम हर रसोई तक गैस पहुंचाने के लिए शुरू की गई केंद्र सरकार की मुहिम महंगाई की भेंट चढ़ गई। गैस के बढ़ते दामों ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का दम निकाल कर रख दिया। एलपीजी की कीमतें लगभग दोगुनी हो जाने से उज्ज्वला कनेक्शन धारक सिलेंडर रिफिल नहीं करवा पा रहे हैं। ऐसे में महिलाओं को बेहतर ईंधन उपलब्ध कराने का सपना अधूरा है। ग्रामीण क्षेत्र में गरीब परिवार चूल्हे पर उपले और लकड़ी के सहारे ही भोजन बनाने को मजबूर हैं।
वर्तमान में गैस सिलेंडर की रिफिल की कीमत 920 के करीब है। ऐसे में इन परिवारों में से अधिकांश के लिए दोबारा गैस रिफिल कराना संभव नहीं है। इसके चलते मिला गैस चूल्हा और सिलिंडर बस घर एक कोने में रखे हुए हैं। धीर-धीरे खत्म हो गई सब्सिडी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत के दौरान सब्सिडी के रूप में लगभग 40 प्रतिशत धनराशि कनेक्शनधारक के खाते में पहुंचती थी। धीरे-धीरे ये धनराशि कम होती चली गई। वर्तमान में बैंक खाते में महज 17 रुपये की धनराशि ही सब्सिडी के तौर पर आ रही है, जो नाकाफी है। जब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था, उसके बाद केवल दो बार ही गैस सिलिंडर दोबारा भरवा पाया। बाद में कीमतें इतनी बढ़ गई कि गैस से खाना बनाना संभव नहीं रहा।