हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। ऐसे में कोई सत्ता में वापसी के लिए तो कोई जीत की हैट्रिक के लिए जनता से बड़े-बड़े वादे करते नजर आ रहे हैं। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हरियाणा विजय संकल्प यात्रा की शुरुआत की है। अपनी इस यात्रा के तहत राहुल प्रदेश के विभिन्न जिलों में जा रहे है और अपनी पार्टी के लिए जोरदार प्रचार कर रहे है।
इसके अलावा विजय संकल्प यात्रा के दौरान वह लगातार बीजेपी पर भी हमला बोल रहे हैं। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राहुल गांधी की इस यात्रा का मकसद हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की स्थिति को मजबूत करना है। लेकिन, यात्रा के दौरान जो प्रचार किया जा रहा है उसकी जमीनी सच्चाई में जमीन-आसमान का फर्क नजर आ रहा है।
दो घोषणापत्र का क्या मतलब?
ऐसा लग रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस के पास चुनाव अभियान के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं है। पार्टी मतदाताओं से क्या कहे, उसकी यह दुविधा दो-दो बार चुनावी घोषणापत्र जारी करने की मजबूरी से ही जाहिर हो रहा है। पहले कांग्रेस ने दिल्ली से एक घोषणापत्र जारी किया। फिर जब कांग्रेसी रणनीतिकारों को ये महसूस होना शुरू हुआ कि बीजेपी का घोषणापत्र तो वोटरों को अभी से अपनी ओर खींच रहा है और वोटर उसमें काफी दिलचस्पी ले रहे हैं तो मजबूरन दूसरा घोषणापत्र चंडीगढ़ से जारी करना पड़ा।
ऐसी लचर रणनीति से तो लगता है कि कांग्रेस चुनाव से पहले ही हथियार डालने लगी है। जिस तरह से कांग्रेस घोषणापत्र को लेकर उलझी हुई है, उसी तरह से यही लगता है कि राहुल गांधी की यात्रा का मकसद भी वह नहीं है, जो वेह सामने से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। असल में मालूम पड़ता है कि पार्टी इसके माध्यम से अपने किए कर्मों से आम जनता का ध्यान भटकाना चाह रही है।
राहुल की यात्रा में संकल्प कम, डैमेज कंट्रोल की कोशिश ज्यादा !
दरअसल, जिन राज्यों में कांग्रेस ने वादों और गारंटियों का सब्जबाग दिखाकर सरकारें बना लीं हैं, लेकिन वहां उन्हें लागू करने में वह बुरी तरह से नाकाम हो चुकी है, अब पार्टी अपनी इस हकीकत पर भी संकल्प यात्रा के जरिए पर्दा डालना चाह रही है। ऐसे में यही लगता है कि राहुल का रोड शो संकल्प कम, उनकी नीतियों की वजह से कांग्रेस को हुए नुकसान का डैमेज कंट्रोल ज्यादा है। इस तरह से राहुल की यात्रा पूरी तरह से कांग्रेस और उसके नेता की नाकामियों को छिपाने का एक हथकंडा लगता है, क्योंकि न तो हरियाणा में कांग्रेस के प्रमुख नेता पूरे मन से उनके साथ नजर आ रहे हैं और न ही प्रदेश की प्रगति के लिए उनके पास कोई ठोस रोडमैप है।