हिमाचल प्रदेश में भी अब बिजली संकट गहराने लगा है। लंबे-लंबे कटों पर लोग परेशान हो गए हैं। जानकारों की मानें तो प्रदेश में बिजली संकट की सबसे बड़ी वजह पावर सरप्लस हिमाचल के पास वर्तमान में हाइड्रो सेक्टर में भी उत्पादन गिरा है। जिसकी वजह से थर्मल प्लांट से आने वाले राज्य के शेयर की बिजली भी नहीं आ रही। हालांकि लोड शेडिंग का तुरंत कोई खतरा नहीं है।
ऊर्जा राज्य हिमाचल में वर्तमान में करीब 11000 मेगावाट बिजली का ही दोहन किया जा रहा है। इनमें से बोर्ड के पास 487 मेगावाट, पावर कारपोरेशन के पास 265 मेगावाट, केंद्रीय और संयुक्त क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7500 मेगावाट, हिमऊर्जा के पास 315 मेगावाट, स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों के पास 2010 मेगावाट और राज्य के हिस्से के 160 मेगावाट के प्रोजेक्ट हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में घरेलू उपभोक्ता 16 लाख से ज्यादा हैं। लेकिन बिजली की खपत उद्योगों में सबसे ज्यादा है। प्रदेश में शनिवार को यूज की गई 318 लाख यूनिट में से सबसे ज्यादा 218 लाख यूनिट उद्योगों में फूंकी गई। घरेलू उपभोक्ताओं ने सिर्फ 100 लाख यूनिट बिजली खर्च की है। वर्तमान में राज्य को न तो बैंकिंग पर किसी अन्य राज्य से बिजली आ रही है, न ही हम ग्रिड की एक्सचेंज के अलावा बिजली बेच रहे हैं।
अश्वनी सूद का कहान है कि एक तो नदियों में पानी कम होने से उत्पादन गिरा है, दूसरा कोल आधारित संयंत्रों से बिजली का हिस्सा नहीं मिल रहा। इसके बावजूद हम पावर सरप्लस कैटेगरी में हैं। दिक्कत आई, तो भी राज्य में पावर कट लगाने की नौबत नहीं आएगी। जल्द ही समस्या से निजात पाया जाएगा।