मनोरंजन (Entertainment) के एकमात्र सबसे पहले साधन दूरदर्शन (Doordarshan) की शुरुआत आज के दिन (15 सितम्बर) को ही हुई थी। अब हमारे पास संचार के साधन की भरमार है। आज के समय में तकनीक के क्षेत्र में विश्व काफी आगे बढ़ गया है। हमारे पास मनोरंजन के अनगिनत विकल्प है। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब लोगों के पास मनोरंजन का एकमात्र साधन सिर्फ दूरदर्शन हुआ करता था। टीवी चैनल (TV Channel) के नाम पर लोगों के पास सिर्फ यहीं इकलौता विकल्प था। लेकिन अब समय बदल गया है और अब एक ही घर में लोगों के पास मनोरंजन के अनेक अलग-अलग साधन हैं। पुराने दौर में हमने नेटफ्लिक्स और मोबाइल जैसे विकल्प की तो कल्पना भी नहीं की थी। दूरदर्शन के दौर में लोगों के अन्दर सीरियल्स और कोई न्यूज़ देखने के लिए अलग ही जोश व उत्साह देखने को मिलता था। जैसे-जैसे समय बदला दूरदर्शन ने भी अपने कई रूप बदले और अब तो डीटीएच का जमाना है।
63 साल पहले पहली बार दूरदर्शन के रूप में इंसान को वो मिला, जो किसी सपने के सच होने से कम न था। आज की पीढ़ी को शायद ये एहसास ही नहीं है कि पुरानी पीढ़ी के लिए दूरदर्शन कितना महत्व रखता था। इसका कारण उन लोगों के पास तमाम साधनों का होना है। यदि एक थाली में किसी के पास सिर्फ एक ही रोटी हो तो वो उसकी कीमत बखूबी जानता है। लेकिन किसी को एक थाली में अनेक रोटियां मिल जाएं तो वो उसकी कीमत को कभी जान नहीं पाता है। कुछ ऐसा ही आज की पीढ़ी के साथ है।
सरकारी प्रसारक के तौर पर दूरदर्शन की स्थापना
ये वो समय था जब लोगों के पास हर घर में टेलीविजन नहीं होता था। सिर्फ कुछ लोगों के पास ही टेलीविजन होता था। साथ ही जिसके घर में होता था, वहां दूर-दूर से लोग उसे देखने के लिए इकट्ठे हो जाते थे। छत पर लगने वाला टेलीविजन का एंटीना किसी प्रतिष्ठा के प्रतीक के समान ही था। इस सरकारी प्रसारण सेवा में देश की कला और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे। जिन्होंने लोगों का दिल जीत लिया था।