आप जब रेलवे स्टेशन और मेट्रो स्टेशन में जाते हैं तो आपने कभी न कभी वहां पीले रंग की उबड़ खाबड़ टाइल्स को नोटिस जरूर किया होगा। ये टाइल्स स्टेशन पर सीधे और कुछ-कुछ दूरी पर चोकोर आकार में लगी होती हैं। इतना ही नहीं ऐसी ही टाइल्स फुटपाथ पर भी लगाई जाती है। इस बारे में अगर किसी से पूछ जाए तो ज्यादातर लोगों का जवाब होगा कि यह फिसलने से रोकने के लिए लगाई गई हैं, लेकिन आपका यह जवाब बिल्कुल गलत है। हम आप को बताते हैं कि आखिर मेट्रो और रेलवे स्टेशनों पर यह टाइल्स क्यों लगाई जाती है।
मेट्रो से लेकर रेलवे स्टेशनों पर लगी पीले रंग की यह उबड़ खाबड़ टाइल्स फिसलने से रोकने के लिए नहीं बल्कि दृष्टिहीन लोगों को सही दिशा दिखाने के लिए लगाई गई है। स्टेशन पर लगी इन उबड़ खाबड़ टाइल्स की मदद से दृष्टिहीन लोग स्टेशन पर एंट्री कर ट्रेन तक आसानी से पहुंच पाते हैं। रेलवे और मेट्रो स्टेशन पर लगी इन पीले रंग की उबड़ खाबड़ टाइल्स को टैक्टाइल पाथ कहा जाता है। यहां लगी टैक्टाइल की लंबी लाइन सीधे चलने का संकेत देती हैं। जबकि गोल टैक्टाइल्स वाले प्वाइंट रुकने का संकेत देते हैं। इन टाइल्स की मदद से दृष्टिहीन लोग स्टेशन से आसानी से ट्रेन के अंदर और बाहर आ जा सकते हैं।
इन टैक्टाइल्स का एक और फायदा है, जिससे शायद ही आप वाकिफ़ होगें। यह टाइल्स दृष्टिहीन लोगों के अलावा रेलवे और मेट्रो इंजीनियर्स के लिए भी सहायक होती हैं। मेट्रो स्टेशन हो या रेलवे स्टेशन यहां पर तमाम तरह की वायर, पाइप और केबल को अंडर ग्राउंड एक से दूसरी जगह पर कनेक्ट किया जाता है। स्टेशन पर लगने वाली इन सभी केबल, पाइप और वायर को टैक्टाइल पाथ के नीचे से ही ले जाया जाता है। ताकि जब भी कोई समस्या आए, तो इंजीनियर्स आसानी से इन टाइल्स को हटाकर केबल, पाइप और वायर को कनेक्ट कर सकें। इसके बाद इन टाइल्स को फिर से वापस लगा दिया जाता है।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि दुनिया में कोई भी काम यूं ही नहीं होती, हर छोटी-बड़ी चीजों के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है।