Uttarakhand Municipal Elections: उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर वार्डों में आरक्षण के मुद्दे पर आपत्तियों की झड़ी लग गई है। प्रदेश के अलग-अलग नगर निगमों और नगर पंचायतों में आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। रविवार को इन आपत्तियों पर प्रशासन की ओर से सुनवाई हुई। देहरादून और ऋषिकेश नगर निगम सहित अन्य नगर निकायों से आई आपत्तियों पर अधिकारियों ने पक्षकारों को सुना और आरक्षण के नियम समझाए।
देहरादून के नगर निगम में कुल 100 वार्ड हैं, जिनमें से 253 आपत्तियां दर्ज की गईं। इनमें विकासनगर और डोईवाला से भी आपत्तियां आईं, लेकिन सुनवाई के दौरान वहां से कोई नहीं पहुंचा। नगर निगम के अपर आयुक्त बीर सिंह बुदियाल ने मौके पर उपस्थित होकर आपत्तियों का जवाब दिया। सबसे प्रमुख आपत्ति वार्ड-86 बालावाला के दयाराम की थी।
उनका कहना था कि उनके वार्ड में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी को नकरौंदा क्षेत्र में बांट दिया गया है, जिससे उनके वार्ड की एसटी जनसंख्या में बदलाव हो गया। इसी तरह, वार्ड-12 मालसी के अनुराग ने दावा किया कि उनके वार्ड में 11.23 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एससी) वोट होने के बावजूद उसे सामान्य श्रेणी में रखा गया है।
जिला मुख्यालय में ऋषिकेश नगर निगम से 18 आपत्तियां दर्ज की गई
ऋषिकेश नगर निगम के 60 वार्डों से कुल 18 आपत्तियां दर्ज की गईं। इनमें से छह पक्षकार जिला मुख्यालय पहुंचे। आपत्तिकर्ताओं का कहना था कि नए आरक्षण नियमावली के तहत पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए था। चंद्रेश यादव ने वार्ड संख्या-1 का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे लगातार महिलाओं के लिए आरक्षित रखा जा रहा है, जो रोटेशन के नियमों का उल्लंघन है।
हरबर्टपुर नगर पंचायत से नौ आपत्तियां आईं, जिनमें से पांच पक्षकार सुनवाई में पहुंचे। यहां ओबीसी, सामान्य और महिला आरक्षण को लेकर नाराजगी जाहिर की गई। मसूरी नगर पालिका से 11 आपत्तियां दर्ज हुईं, लेकिन सुनवाई में चार लोग ही उपस्थित रहे। महिमानंद ने वार्ड-3 का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसे बार-बार अनुसूचित जाति (एससी) और एससी महिला के लिए आरक्षित किया गया है। उन्होंने चक्रानुसार सीट सामान्य श्रेणी में लाने की मांग की।