मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal Khattar) ने श्री गुरु तेग बहादुर (Sri Guru Tegh Bahadur) के 400 वें प्रकाश पर्व के लिए बुधवार को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के बनाए भक्ति गीत (Bhakti Geet) को लॉन्च किया। इस दौरान उन्होंने हिंदी और पंजाबी भाषा में बनाए गए पोस्टर भी लोकार्पित किए। प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में 24 अप्रैल को पानीपत (Panipat) में राज्य स्तरीय समारोह (State Level Function) होना है।
दरअसल, बुधवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रेस वार्ता कर कहा कि मार्च 2021 से 400 वें प्रकाश पर्व के चलते देश में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम पहले ही शुरू हो चुके हैं। इन समारोह के सफल आयोजन के लिए पर्याप्त व्यवस्था की तैयारी की जा रही है।
खेल राज्य मंत्री सरदार संदीप सिंह (Sandeep Singh) की अध्यक्षता में इवेंट मैनेजमेंट कमेटी (Event Management Committee) का गठन किया है। गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाएं हमारे लिए एक दुर्लभ विरासत हैं। 24 अप्रैल को हरियाणा (Haryana), पंजाब (Punjab) के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) से भी सिख श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में भाग लेने की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रसिद्ध रागी और कथा वाचक कार्यक्रम में होंगे शामिल
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध रागी और कथा वाचकों को इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए विशेष आमंत्रण भेजा जा रहा है। वहीं इस पर कार्यक्रम प्रबंधन समिति (Program Management Committee) के संयोजक सांसद संजय भाटिया ने कहा कि इन महान गुरुओं और संतों की आध्यात्मिक शिक्षाओं और दर्शन का प्रचार करने के लिए कभी पिछली सरकारों ने नहीं सोचा। संदीप सिंह ने कहा, यह बहुत सराहनीय है कि हरियाणा इतने बड़े धार्मिक कार्यक्रम की मेजबानी करने जा रहा है।
कश्मीरी पंडितों की मदद
मुख्यमंत्री ने वार्ता में कहा कि गुरु तेग बहादुर ने न सिर्फ हिंदुओं को जबरन धर्मांतरण से बचाया, बल्कि कश्मीरी पंडितों की भी काफी मदद की। वे मुगल सम्राट औरंगजेब (Mughal Emperor Aurangzeb) के दबाव में जीवन जी रहे थे। ऐसे में जब कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) का प्रतिनिधिमंडल अपनी आपबीती बताने गुरु तेग बहादुर जी से मिलने आया, तब उन्होंने कहा था अगर कोई महापुरुष अपना बलिदान देगा तभी आपका धर्म बच पाएगा।
यह सुन कर 9 साल के बालक गोबिंद राय (गुरु गोबिंद सिंह जी) बोले कि पिता जी, आपसे बड़ा महापुरुष यहां और कौन हो सकता है। आप इस काम के लिए अपना ही बलिदान क्यों नहीं देते। उनकी बात सुन गुरु तेग बहादुर औरंगजेब से लोहा लेने के लिए दिल्ली के लिए निकल गए, जहां चांदनी चौक (Chandni Chowk) पर उनका सिर कलम कर दिया गया।