हरियाणा में राज्य सूचना आयोग द्वारा लगाई गई 2.76 करोड़ रुपये जुमार्ना राशि न भरने वाले 1726 जन सूचना अधिकारियों से जुमार्ना राशि वसूली के लिए सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। मुख्य सचिव विजय वर्धन की अध्क्षयता में मॉनिटरिंग कमेटी ने जुमार्ना राशि वसूली सुनिश्चित करने के लिए कड़े आदेश किए हैं। गौर तलब है कि आरटीआई एक्ट-2005 के तहत निर्धारित 30 दिन में सूचना देने का नियम है। देरी से सूचना देने पर सूचना अधिकारी पर 250 रुपये प्रतिदिन की दर से अधिकतम 25000 रुपये जुर्माना लगाया जाता है। 2005 से अब तक सूचना आयोग ने कुल 4.79 करोड़ रुपये जुमार्ना कुल 3 हजार 589 मामलों में अफसरों पर लगाया। इसमें से 1726 अफसरों ने कुल 2.76 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि नहीं भरी। सर्वाधिक जुर्माना राशि पंचायती राज विभाग के अफसर 93.90 लाख रुपये और शहरी निकाय विभाग के अफसरों पर 61.65 लाख रुपये हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने इस जुमार्ना राशि की वसूली को लेकर लोकायुक्त कोर्ट में गत वर्ष 21 जुलाई को केस दर्ज कराया था। इस पर प्रदेश सरकार ने गत 29 जनवरी को चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में जुमार्ना राशि वसूली के लिए उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी गठित की। सरकार ने सूचना आयोग को जुर्माना वसूली और इसकी कारगर निगरानी के लिए ऑनलाइन सिस्टम कायम करने के निर्देश भी दिए । हर विभाग जुर्माना वसूली का ब्योरा अपडेट करेगा। तत्काल वसूली के लिए डिफाल्टर सूचना अधिकारियों की सूची सम्बंधित विभाग के विभागाध्यक्ष, सचिव को भेजी जाएगी। डिफाल्टर सूचना अधिकारियों के वेतन से जुर्माना राशि वसूली के लिए सरकार सभी ड्राइंग एंड डिसबर्समेंट ऑफिसर को सर्कुलर भेजेगी।