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कौन है बाबा बौखनाग जी, सुरंग में फंसे मजदूरों से कनेक्‍शन समेत जानिए क्या है इनकी मान्यता

कौन है बाबा बौखनाग जी, सुरंग में फंसे मजदूरों से कनेक्‍शन समेत जानिए क्या है इनकी मान्यता

 

Baba Bokh Naag Devta: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में 16 दिन से 41 मजदूर फंसे हुए थे, जिन्‍हें 17वें दिन सुरक्षित बाहर निकाल गया है। वहीं इस बीच बाबा बौख नाथ जी के बारे में काफी चर्चा का की जा रही है, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत स्थानीय लोगों का भी यहीं कहना है कि बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा से यह ऑपरेशन सफल हुआ। चलिए जानते हैं कौन है बाबा बौख नाग जी...
 
पहाड़ों के देवता 'बाबा बौख नाग' जी

माना जाता है कि बाबा बौखनाग जी सिल्कयारा सहित अन्य क्षेत्रों के इष्ट देव भी है। उनकी यहां बासगी नाग के रुप में उत्पत्ति हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण टिहरी जनपद के सेम मुखेम से पहले यहां पहुंचे थे। इसी के कारण हर साल सेम मुखेम और दूसरे साल बौखनाग में भव्य मेला आयोजित होता है। यह नागराज मंदिर है। इनकी पूजा- अर्चना करके इलाके की रक्षक की कामना की जाती है। उत्तरखंड के उत्तरकाशी में बाबा बौख नाग का मंदिर स्थिति है। आसपास के क्षेत्रों में ये काफी प्रसिद्ध मंदिर है। इसी के कारण हर साल मार्गशीर्ष महीने के मौके पर यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।  हर साल हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

मान्‍यता है कि इस मंदिर तक नंगे पैर आकर दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। विशेष तौर पर यहां नवविवाहित और निसंतान लोग दर्शन के लिए आते हैं। मान्‍यता है कि ऐसा करने से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। यहां पर हर साल एक मेला भी लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और बाबा बौख नाग के आगे अपनी अर्जी लगाते हैं। जब से उत्तरकाशी का यह सुरंग हादसा हुआ है, तब से यहां लगातार पूजा-अर्चना की जा रही है। 

बाबा बौख नाग पहाड़ों के देवता हैं। बाबा बौख नाग देवता का मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित है। 41 मजदूरों को बचाने के लिए सिल्क्यारा टनल के पास बाबा बौख नाग जी का एक मंदिर भी बनाया गया, इस मंदिर में सीएम धामी सहित विदेश एक्‍सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने भी दर्शन किए।

 यह सूचना केवल मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यह बताना जरुरी है कि जनता टीवी किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरुर लें।


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