Shardiya Navratri 2024 Day 2: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। अर्थात कठोर तप और ब्रह्म में लीन रहने के वजह से इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तप किया था। उनके इसी तप के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा करने से तप, त्याग, संयम, सदाचार आदि की वृद्धि होती है। श्वेत वस्त्र धारण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी एक हाथ में जप माला और दूसरे में कमंडल धारण करती हैं। वे बहुत ही शांत और सरल स्वाभाव की माता हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले अपने पथ पर अडिग रहते हैं और अपने लक्ष्य से भटकते नहीं हैं। तो आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का क्या है महत्व?
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। व्यक्ति दृढनिश्चय के साथ अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना है। व्यक्ति की संकल्प शक्ति मजबूत होती है। त्याग, ब्रह्मचर्य, वैराग्य, तप जैसे गुणों की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
पूजा मंत्र: ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
प्रार्थना मंत्र: दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मां ब्रह्माचारिणी आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Janta Tv इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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