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अनंतनाग एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर आशीष के पैतृक गांव बिंझौल में हुआ अंतिम संस्कार

अनंतनाग एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर आशीष के पैतृक गांव बिंझौल में हुआ अंतिम संस्कार

 

Panipat News: अनंतनाग एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर आशीष का पार्थिव शरीर आज सुबह उनके पैतृक गांव बिंझौल पहुंच जिसके बाद उनकी श्मशान घाट तक भारत माता की जय के नारे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में पूरा गांव अपने लाल को सलामी देने के लिए उमड़ पड़ा, इसके साथ ही सड़कों पर हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ भी दिखी।
 
मेजर आशीष की अंतिम यात्रा में एक किलोमीटर लंबे काफिले में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए। शहीद को विदाई देने के लिए सड़क के दोनों तरफ लोगों की भारी भीड़ दिखी। दोनों तरफ खड़े लोगों ने फूल बरसाकर आशीष को विदा किया। अंतिम यात्रा के साथ शहीद मेजर आशीष की बहनें और मां भी बिंझौल आईं। मां पूरे रास्ते हाथ जोड़े रहीं, जबकि बहन भाई को सैल्यूट करती रही। 


शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को आज सुबह पानीपत के TDI सिटी स्थित उनके नए घर में लाया गया, जिस घर में उन्हें अगले महीने अपने जन्मदिन के दिन शिफ्ट होना था। मेजर इस घर को दो साल से बनवा रहे थे। आज उसी मकान में उसके पार्थिव शरीर को लाया गया।  मेजर का सपना था कि अपने खुद के घर में रहें, इसलिए उन्होंने TDI सिटी में नया घर बनवाया था। उनका परिवार अभी सेक्टर 7 में किराए के मकान में रहता है। 

अनंतनाग एनकाउंटर में शहीद मेजर आशीष का पार्थिव शरीर जब जवानों ने अपने कंधे पर उठाया तो मां ने नारा लगाया, 'मेरा बेटा सदा अमर रहे। मां ने कहा- मेरा बेटा देश की शान। घरवाले हाथ जोड़े रोए जा रहे थे। मां का बुरा हाल था। वह आसमान की तरफ हाथ उठाए सपूत की शहादत को अपने तरीके से सलाम कर रही थी। मां ने आगे कहा कि मेरी पोती सेना में अफसर बनेगी...मेरी पोती बदला लेगी... मेरी पोती दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगी।

19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे

इसी साल मेजर आशीष को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 अगस्त को सेना मेडल दिया था। वह 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे। मेजर आशीष अपने पीछे 2 साल की बेटी और अपनी पत्नी ज्योति को छोड़ गए हैं। आशीष के पिता लालचंद NFL से रिटायरमेंट हैं।


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