ताजमहल (Taj Mahal) को भारत की ऐतिहासिक इमारतों मे से एक कहा जाता है। आज यह विवादों में घिरा हुआ है जिसका कारण आगरा नगर निगम द्वारा ताजमहल का नाम बदलकर तेजोमहालय करने का प्रस्ताव है। यह प्रस्ताव ताजगंज से भाजपा के पार्षद शोभाराम राठौर ने भेजा था, परंतु नगर निगम सदन के पास ये अधिकार नहीं है कि वह केंद्रीय संरक्षित स्मारक का नाम बदल सके। नगर निगम के पास सड़कों और कॉलोनियों के नाम बदलने का ही अधिकार है।
शोभाराम राठौर ताजमहल का नाम बदलने का प्रस्ताव मेयर नवीन जैन के समक्ष रखते उससे पहले ही सदन स्थगित कर दिया गया। उनका भी यही मानना है कि नगर निगम यह प्रस्ताव नहीं रख सकता है। यदि प्रस्ताव सदन में रखा जाता है और इसे बहुमत प्राप्त भी हो जाता है तब भी यह प्रस्ताव पास नहीं किया जा सकता है। फिर भी मेयर नवीन इस प्रस्ताव पर कानूनी सलाह ले रहे है ताकि उनसे कोई भूल ना हो जाए। कानून विशेषज्ञों और पूर्व पार्षदों का कहना है कि यह प्रस्ताव संगठन और पार्टी की भावना से अलग है। उनका मानना है कि जो अधिकार नगर निगम को है ही नहीं उसका प्रस्ताव वह कैसे ला सकती है। यह प्रस्ताव सिर्फ समय की बर्बादी है और इन पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
ताजमहल का इतिहास- ताजमहल पर लिखी पुस्तक ‘ताजमहल : द ट्रू स्टोरी’ 1965 में प्रकाशित हुई। इसके लेखक इतिहासकार पीएन ओक है उन्होंने इस पुस्तक में ताजमहल को शिव मंदिर बताया है और कहा है कि ताजमहल शिव मंदिर था जिसे जयपुर के राजा मानसिंह प्रथम ने बनवाया था। उसको तोड़कर शाहजहां ने यह मकबरा बनाया। इसकी संगमरमर की जाली पर 108 कलश चित्रित है यह कलश हिंदू परंपरा में पवित्र माने गए है। इस पुस्तक को आए 57 साल बीत गए फिर भी ये अभी भी विवादों में घिरी हुई है। इस पुस्तक में 109 चिह्नों के जरिए ताजमहल बताने का प्रयास किया गया है। जब लेखक ने ऐसा कहा तो उसकी बात की पुष्टि के लिए ताजमहल के तहखानों के कमरों को खुलवाने का जिक्र किया गया। इसके बाद वर्ष 2000 में सुप्रीम कोर्ट और वर्ष 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इसकी याचिकाओं को खारिज किया जा चुका है।
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