रसोई घर को स्वच्छ रखना चाहिए। बिना स्नान किए कभी भी भोजन नहीं बनाना चाहिए। माना जाता है कि बिना स्नान किए भोजन बनाने से यह अपवित्र हो जाता है। भोजन को स्नान, ध्यान कर खुश मन से बनाना चाहिए। जो व्यक्ति भोजन बना रहा है उसके ठीक पीछे दरवाजा नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा है तो उस व्यक्ति को थोड़ा इधर-उधर चले जाना चाहिए। यदि संभव हो तो रसोईघर में पूर्व की ओर खिड़की या रोशनदान जरूर बनवाएं। भोजन बनाने के बाद उसे भगवान को भोग लगाएं फिर उसे प्रसाद के तौर पर स्वयं ग्रहण करें। भोजन बनाते समय मुख हमेशा पूर्व दिशा में ही रखें। पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर भोजन बनाने से परिवार के सदस्यों को त्वचा और हड्डी से जुड़े रोग होने की आशंका रहती है। घर में धन नहीं टिकता है तो उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करें।
घर के मुखिया को हमेशा उत्तर दिशा में मुख कर भोजन करना चाहिए। भोजन करने से पूर्व अपने ईष्ट देव को भोग लगाना न भूलें। एक रोटी गाय के लिए निकालें। ऐसा करने से घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। परिवार में सभी स्वस्थ्य रहते हैं। जूठे बर्तनों को तुरंत धो लें। इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती है। अगर आप डायनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं तो याद रहे कि इसे कभी भी खाली ना छोड़ें। कोई भी खाने की सामग्री इस पर जरूर रखें। भोजन करते समय टीवी या मोबाइल का प्रयोग बिल्कुल न करें, ऐसा करने से भी अन्न का अनादर ही माना जाता है। भोजन करने के बाद संबंधित स्थान और डायनिंग टेबल को साफ करें व अग्निदेव और माता अन्नपूर्णा को धन्यवाद दें।
यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर ही प्रस्तुत किया गया है।
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