सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव के दौरान फ्री वादों को लेकर दाखिल याचिका में चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगी है। इस मामले में कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आयोग से पूछा कि उसकी तरफ से अभी तक कोई हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया है। चीफ जस्टिस (CJI) ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से हलफनामा सबसे पहले मीडिया में प्रकाशित होने पर नाराजगी जताई है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि अब क्या हम अखबार में हलफनामा पढ़ें। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह (Vikas Singh) ने कहा कि फ्री के वादे करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
नहीं बना सकते कानून- CJI बोले
इस पर कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में कोई कानून नहीं ला सकते हैं। ये काम सरकार का है। दरअसल याचिका में ऐसा वादा करने वाली पार्टियों की मान्यता को रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट की टिप्पणी पर याचिकाकर्ता बोला कि यहां कोर्ट में सरकार भी मौजूद है। वह तो इस पर कानून बना सकती है। इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को तय की गई है।
पार्टियां घोषणा पत्र सौंपती हैं?- कोर्ट
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से पूछा कि क्या पार्टियां उसे घोषणा पत्र सौंपती हैं? इस पर विकास सिंह ने कहा- नहीं, ऐसी कोई भी कानूनी बाध्यता नहीं है। वहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अधिकतर फ्री की योजनाओं का वादा घोषणा पत्र में मौजूद नहीं होता है। नेता अपने भाषणों में इसका जिक्र कर सकते हैं। सीजेआई ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है।
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