मुजफ्फरपुर में प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल-डीजल का उत्पादन शुरू हो गया है। यह बिहार में पहला ऐसा प्लांट है, जिसमें प्लास्टिक के कचरे से डीजल-पेट्रोल का उत्पादन होगा। इसकी शुरुआत मुजफ्फरपुर के रहने वाले आशुतोष मंगलम ने की है। कुढ़नी प्रखंड के खरौना डीह गांव में इसका प्लांट लगाया गया है। प्लांट की शुरुआत केंद्र सरकार की योजना PMEG के तहत 25 लाख रुपए बैंक से लोन लेकर की गई है।
संचालक आशुतोष मंगलम ने बताया कि जब केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते थे तो उसी समय पूर्व राष्ट्रपति डॉ. APJ अब्दुल कलाम को ये कहते हुए सुना था कि प्लास्टिक डायमंड है। इसका उपयोग अगर सही तरीके से किया जाएगा तो यह भविष्य में वरदान साबित होगा। बस वहीं से मन में ठान लिया था कि प्लास्टिक कचरे से डीजल-पेट्रोल का उत्पादन करेंगे।
आशुतोष ने बताया कि नगर निगम से छह रुपए KG के दर से प्रतिदिन 200 KG कचरा खरीदा जाएगा। इससे 150 लीटर डीजल और 130 लीटर पेट्रोल का उत्पादन होगा। इसकी आपूर्ति फिलहाल स्थानीय किसानों और नगर निगम को की जाएगी। एक लीटर पेट्रोल-डीजल तैयार करने में GST के साथ 62 रुपए की लागत आएगी। इसकी बिक्री 65-70 रुपए प्रति लीटर की जाएगी।
मंगलम ने बताया कि शुद्धता की शत प्रतिशत गारंटी है। पेट्रोल पंप पर मिलने वाले डीजल-पेट्रोल से इसकी क्षमता थोड़ी भी कम नहीं होगी। सफलता मिलने के बाद इसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
सबसे पहले प्लास्टिक कचरा को ब्यूटेन में परिवर्तित किया जाएगा। प्रोसेस के बाद ब्यूटेन को आइसो ऑक्टेन में बदला जाएगा। इसके बाद अलग-अलग प्रेशर और तापमान से आइसो ऑक्टेन को डीजल और पेट्रोल में परिवर्तित किया जाएगा। 400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर डीजल और 800 डिग्री तापमान पर पेट्रोल का उत्पादन होगा। इस प्रक्रिया में करीब आठ घंटे तक समय लगता है।
आशुतोष मंगलम ने बताया कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम की तरफ से इसका सफल ट्रायल किया जा चुका है। इससे अधिक ऑक्टन होने के कारण वाहनों की माइलेज भी अधिक होगी।
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