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JK में एक बार फिर पिछड़ों के अधिकारों पर मंडराया खतरा! NC के घोषणापत्र में आरक्षण खत्म करने की बात

JK में एक बार फिर पिछड़ों के अधिकारों पर मंडराया खतरा! NC के घोषणापत्र में आरक्षण खत्म करने की बात

 

JKNC Manifesto: राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के घोषणापत्र का समर्थन किया है, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मेनिफेस्टो में 12 गारंटियां दी गई हैं। गौरतलब है कि JKNC ने अपने घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370 को वापस लाने की बात कहीं है तो दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ियों के लिए आरक्षण समाप्त करने की बात भी की गई है। JKNC घोषणापत्र के अनुसार अगर वह सत्ता में वापसी करती है तो कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू और कश्मीर में आरक्षण नीति की समीक्षा करेंगे। ऐसे में मोदी सरकार द्वारा SC, ST, और OBC को दिए गए नए अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं।

यह स्पष्ट है कि जब साल 2019 में भाजपा सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाया जाना सिर्फ राजनीतिक बदलाव नहीं था, बल्कि यह सामाजिक प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम था। लेकिन अब, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का घोषणापत्र इस प्रगति को खतरे में डाल रहा है। अगर आर्टिकल 370 को फिर से लागू किया गया, तो वाल्मीकि, गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदायों के अधिकार छिन जाएंगे।


 राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने आरक्षण का विरोध किया है। गौरतलब है कि इंदिरा गांधी और मंडल आयोग 1980 में इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने की बात कही थी, लेकिन इंदिरा और उनके बेटे राजीव गांधी ने इसे अनदेखा किया। 1990 में, मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का समय आया, तो कांग्रेस ने फिर से इसका विरोध किया। राजीव गांधी ने यह तक कहा कि आरक्षण से कामकाजी क्षमता में कमी आएगी, जो उनकी पिछड़े वर्गों के प्रति सोच को उजागर करता है।

नेहरू का आरक्षण के खिलाफ कड़ा रुख

इतना ही नही पंडित जवाहर लाल नेहरु के कार्यकाल में भी यह साफ दिखता है कि उन्होंने भी आरक्षण और सामाजिक न्याय के प्रति नकारात्मक रुख रखा था, जिसाक गवाह साल 1956 रहा जब उनके द्वारा काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को ठुकराया गया जिससे यग साफ था कि वह भी आरक्षण के खिलाफ रहे थे। साल 1961 में, नेहरू ने चिंता जताई कि आरक्षण से कामकाज की उत्पादकता कम होगी। यह उनके पूर्वाग्रह को और उजागर करता है, जो दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के खिलाफ था।

राहुल गांधी का JKNC के घोषणापत्र को समर्थन देना कांग्रेस के पुराने इतिहास के साथ मेल खाता है। गौरतलब है कि राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर विदेशी धरती पर आरक्षण खत्म करने की बात कही थी।  जम्मू-कश्मीर में इस 2024 का विधानसभा चुनाव एक निर्णायक मोड ला सकता है, यह चुनाव वाल्मीकि, गुज्जर-बकरवाल और अन्य पिछड़े समुदायों के अधिकारों का भविष्य तय करेंगे। अगर JKNC सत्ता में वापसी करती है तो एक बार फिर से दलित और पिछड़े वर्गों को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। 

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में दो चरणों का चुनाव समाप्त हो गया है, अब तीसरे चरण के तहत 1 अक्टूबर को मतदान होना है जिसके नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
 


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