Nipah VirusTreatment : आजकल भारत के कई राज्यो में Nipah Virus का खौप देखा जा रहा है। इस वायरस की चपेट में आने से लोगों में फ्लू जैसे लक्षण महसूस होते हैं, जैसे - तेज बुखार , सिर दर्द मांसपेशियों में दर्द उल्टी और गले में खराश होना। यह वायरस भारत के केरल के अलावा तमिलनाडु, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और पुदुचेरीराज्यों में फैली हुई है।
यह इतनी गंभीर बीमारी है बताई जा रही है कि इस वायरस की चपेट में आने से दिमाग में सूजन का कारण भी बन सकती है। चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इस बीमारी से कैसे सतर्क रहें इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
फिलहाल इस वायरस की न तो वैक्सीन है और न ही इलाज। ऐसे में इससे सुरक्षित रहने और बचाव के लिए एकमात्र सावधानी ही है।
इस वायरस के लक्षण?
-तेज बुखार
-सिर दर्द
-चक्कर आना
-सिर घूमना
-सांस लेने में दिक्कत आना
निपाह वायरस का इलाज
फिलहाल इस वायरस की न तो वैक्सीन है और न ही इलाज। ऐसे में इससे सुरक्षित रहने और बचाव के लिए एकमात्र सावधानी ही है। दवाईयों से सिर्फ इसके लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है। इसलिए इस वायरस से बचाव का एक ही तरीका है कि एस वायरस के सम्पर्क आने से बचें।
ऐसे बचें वायरस के संपर्क में आने से
-N95 मास्क का उपयोग करे, ताकि आप वायरस से बचे रहे।
- दिन में कई बार हाथों को धोएं। खासतौर पर बाहर से आने के बाद किसी दूषित वस्तु को छूने के बाद।
- हमें बीमार लोगों या फिर जानवरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को उनके पास जानें से रोकें।
- संक्रमित व्यक्ति का खाना, कपड़ों का प्रयोग करने से बचें।
- कच्चे खजूर का रस पीने से बचे। क्योंकि यह चमगादड़ की लार से दूषित हो सकता है।
- पेड़ के पास नीचे गिरे फलों को न उठाएं और न खाएं। इससे भी निपाह वायरस का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़ निपाह वायरस (NiV) एक तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है क्योंकि यह चमगादड़ों से मनुष्यों और फार्म के जानवरों खासकर सुअरों में फैलती है।
शरीर के इन अंगों पर करता है अटैक
यह वायरस मुख्य रुप से फेफड़ों और दिमाग को प्रभावित करता है। इससे संक्रमित होने पर खांसी और गले में खराश होती है। वायरस की चपेट में आने से सांस तेजी से चलना, बुखार होना और उल्टी जैसे लक्षणों महसूस हो सकते है। वहीं यह इतनी घातक बीमारी है कि मस्तिष्क में सूजन तक आ सकती है। जिससे कुछ समझ न आना (confusion) या दौरे भी पड़ सकते हैं। दिमाग में सूजन आने से मरीज कोमा में भी जा सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है।