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Navratri 4th Day 2023: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन आज, जानें किस देवी की होती है पूजा

Navratri 4th Day 2023: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन आज, जानें किस देवी की होती है पूजा

 

Chaitra Navratri 4th Day: नवरात्रि के पावन पर्व का आज चौथा दिन है, आज के दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। कहते है जब संसार में चारों ओर अंधेरा छा गया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इन्हें सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। माना जाता है की मां कूष्मांडा जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अष्ट सिद्धियां और निधियां प्राप्त हो जाती है। कूष्मांडा स्वरूप की पूजा-साधना करने पर साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए देवी कूष्मांडा के सुंदर स्वरुप और पूजन विधि के बारे में जानें। 

लंबे वक्त से अगर कोई घर में बीमार है या आए दिन बीमारियों का डेरा रहता है तो माता कूष्मांडा के बीज मंत्र का 108 बार जाप या देवी कवच का पाठ करें. माता की कथा सुनें. मान्यता है इससे असाध्य रोग भी खत्म हो जाते हैं.

मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं है, उनके हाथों में कमंडल, धनुष, कमल, पुष्प, अमृतकलश, गदा व चक्र सुशोभित हैं। इसके साथ ही मां जपमाला रखती हैं। मां सिंह की सवारी करती हैं। मान्यताओं के अनुसार देवी कुष्मांडा की पूजा करने से मनुष्य के रोग दूर हो जाते हैं। मां खुश होने पर भक्तों को यश, बल व धन से समृद्ध कर देती हैं।

ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह-सवेरे जल्दी उठे उसके बाद नहाकर हरे रंग के कपड़े पहने। पूजन स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और माता को मेहंदी, चंदन, हरी चूड़ी, चढ़ाएं। मां के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं और विधिवत पूजा करें। मां को अपनी श्रद्धा के अनुसार फल-फूल, धूप, भोग आदि अर्पित करें। माता के मंत्रों का जाप करें, अंत में देवी भगवती की आरती कर सभी को प्रसाद बांटे।

मां का पसंदीदा फल
कुम्हड़ा वो फल है जिससे पेठा बनता है। यह माता को अति प्रिय है। देवी कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है।

मां कूष्मांडा का प्रिय भोग - मालपुआ
मां कूष्मांडा का प्रिय रंग - हरा

मां कूष्मांडा मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)

कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
ॐ कूष्माण्डायै नम:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

पढ़ें 'कूष्मांडा' माता की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
 


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