Manipur Violence: मणिपुर हिंसा में 3 मई 2023 से शुरु हुई हिंसा का अंत होने का नाम नहीं ले रहा है। आग में सुलगता मणिपुर आखिरकार कब सुलगना बंद होगा?
यहां 25 नवंबर को कांगपोकपी जिले के लेइमाखोंग सैन्य स्टेशन में एक ठेकेदार के सुपरवाइजर बाबू के लापता होने के बाद जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। यह प्रदर्शन और तब बढ़ गया जब बेलारानी के नेतृत्व में महिला प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग हटा दी और लापता व्यक्ति को खोजने की मांग करते हुए सेना के शिविर की ओर मार्च किया, जिससे तनाव बढ़ गया।
शानिवार शाम को लापता मैतेई व्यक्ति लैशराम कमल बाबू की पत्नी सुरक्षाकर्मियों के सामने कंटीले तारों की बाड़ के सामने बैठ गई। इस दौरान महिला ने कहा, "मैं यहां से तब तक नहीं हटूंगी जब तक मेरे पति को मुझे नहीं सौंप दिया जाता"।
लैशराम कमल बाबू की पत्नी ने कही ये बात
लैशराम कमल बाबू की पत्नी अकोईजाम निंगोल लैशराम ओंगबी बेलारानी ने बताया कि, "मैंने 25 नवंबर को उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन बंद था। अपने पति के लापता होने की खबर सुनकर मैं आज कछार से आई हूं"। उन्होंने कहीं भी जाने से इनकार करते हुए कहा, "सेना के जवानों को मेरे पति को जीवित और सुरक्षित ढूंढना चाहिए"।
लापता मैतेई शख्स को ढूंढ रहे 2000 जवान
मणिपुर में भारतीय सेना ने करीब दो हजार जवानों को लापता मैतेई शख्स की तलाश में लगाया है। पुलिस ने बताया कि भारतीय सेना एक हफ्ते से अधिक समय से लापता मैतेई शख्त की तलाश के लिए जवानों के साथ-साथ ड्रोन और शिकारी कुत्तों की भी मदद ले रही है।
कौन है लापता मैतेई शख्स
असम के कछार जिले के मूल निवासी लैशराम कमलबाबू सिंह, जो इंफाल पश्चिम के खुखरुल में रहते थे, 57वें माउंटेन डिवीजन के लेइमाखोंग सैन्य स्टेशन में मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (एमईएस) के साथ काम करने वाले एक ठेकेदार के लिए कार्य पर्यवेक्षक थे।