आज देश को आजाद करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) के पुस्तैनी गांव पंजाब के खटकड़ कलां (Khatkar Kalan) में नए मुख्यमंत्री भगवंत मान के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया है। लेकिन, इस गांव की कई हकीकत ऐसे ही जो चौंका देती है। इस गांव की आधी आबादी विदेश में जाकर बस गई है। यहां करीब 125 कोठियों के बाहर ताले लगे हुए हैं। इन घरों की जिम्मेदारी गांव में विदेश गए लोगों के रिश्तेदारों के पास है।
125 कोठियां पर ताले
गांव के करीब 400 परिवार रहते हैं। ऐसे में यहां रहने वाले अधिकतर के बच्चे बुजुर्गों और देखभाल करने वालों को पीछे छोड़कर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप चले गए हैं। इस पर गांव के सरपंच कुलविंदर सिंह (Kulwinder Singh) व शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह सोसायटी खटकड़कलां के प्रधान गुरजीत सिंह ने बताया कि गांव में रोजगार नहीं मिलने के कारण लोग लोग यहां से विदेश चले गए हैं। वे अपने बच्चों को भी कभी-कभी बुला लेते हैं। यही कारण है कि गांव की सवा सौ से ज्यादा कोठियों में दूसरे राज्य से आए मजदूर किराय पर रह रहे हैं। इन लोगों को ही इन कोठियों को संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं यहां कई कोठियां ऐसी भी हैं जहां पर विदेश गए लोगों के रिश्तेदार उनकी धरोहर को संभालते हैं।
सरकार की अनदेखी
गांव के रहने वाले गुरजीत सिंह व पंच सुरिंदर सिंह का कहना है कि अब तक सरकारों ने जानबूझकर सरकारी बसों को गांव तक पहुंचाने ही नहीं दिया है। इतना ही नहीं यहां खेल के मैदान और सीवरेज सिस्टम की भी अनदेखी की गई है। खटकड़ कलां हमेशा राजनीतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहां हर मुख्यमंत्री किसी न किसी राजनीतिक लाभ के लिए ही आता है। लेकिन, करता कुछ नहीं।
उन्होंने कहा कि इस गांव में कभी भी किसी बस को रुकते हुए नहीं देखा है। जब भी इस बारे में आने वाले गणमान्य व्यक्तियों और यहां के मुख्यमंत्रियों को अवगत कराया, वे सिर्फ मौखिक आदेश ही पारित करते हैं। जिससे समस्या का कोई समाधान नहीं निकलता है।
उनका कहना है कि अब हम सभी को नए मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) से बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि शहीद भगत सिंह को वह अपना आदर्श मानते हैं। मान ने यहां से पलायन रोकने का वादा भी किया है। उन्होंने एक ऐसा पंजाब बनाने का वादा किया है, जहां से कोई बच्चा अब कनाडा नहीं जाएंगा। उम्मीद है कि विदेश गए पंजाबी भी वापस अपने घर लौट आएंगे।
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