इतिहास में सिखों के दस गुरुओं के जीवन में ऐसे कई वाक्ये हुए हैं, जो हमें जीवन जीने का सलिका सिखाते हैं कि हमें अपना जीवन कैसे जीना चाहिए। जीवन में सभी के प्रति चाहे वह हमारे परिवार, मित्र,अनजान व्यक्ति या दुश्मन ही क्यों न हों, यहां तक कि पेड़-पौधे और जानवरों आदि के लिए भी अपने मन में प्रेम व दया की भावना रखनी चाहिए। सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म श्री पटना साहिब में अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार 22 दिसंबर 1666 को हुआ था। बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह पहले गुरु थे जिन्होंने मुगलों के अत्याचार के खिलाफ 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।
इस दौरान उन्होंने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए, जिन्हें ‘पंच ककार’ के नाम से जाना जाता है। खालासा पंथ में शामिल होने वाले हर व्यक्ति को इन्हें अपनाना होता था। आज के दिन सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की जयंती के अवसर पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, पटना और देशभर में अन्य जगहों पर हजारों सिख श्रद्धालु मत्था टेकने और प्रार्थना करने के लिए गुरुद्वारों में जाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह के संदेश के अनुसार ही खालसा सिखों में पांच चीजों को अनिवार्य माना गया है। ये पांच चीजें हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा।
गुरु गोबिंद सिंह के प्रेरणादायक विचार:
-बचन करके पालना: अगर आपने किसी को वादा किया है तो उसे हर कीमत में निभाना चाहिए।
-किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना : किसी की चुगली व निंदा करने से हमें हमेशा बचना चाहिए और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय परिश्रम करने पर ध्यान देना चाहिए।
-कम करन विच दरीदार नहीं करना : काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर कभी कोई कोताही न बरतें।
-गुरुबानी कंठ करनी : गुरुबानी को कंठस्थ करें।
-दसवंड देना : अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दें।
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