होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
सेहत
नॉलेज
फैशन/लाइफ स्टाइल
अध्यात्म

 

Kajari Teej 2023: 2 सितंबर को कजरी तीज व्रत, सुहागिनें भूलकर भी ना करें ये काम, व्रत हो जाएगा भंग

Kajari Teej 2023: 2 सितंबर को कजरी तीज व्रत, सुहागिनें भूलकर भी ना करें ये काम, व्रत हो जाएगा भंग

 

Kajari Teej 2023 : भाद्रपद मास के कृष्‍ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। कजरी तीज कृष्ण जनमाष्टमी के 5 दिन पहले मनाई जाती है। सुगाहिन महिलाओं द्वारा इस व्रत को रख जाता है, वह अपनी पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही यह व्रत संतान सुख प्राप्ति के लिए भी रखा जाता है। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।

कजरी तीज को कजलिया तीज या सातुड़ी तीज भी कहा जाता है। वहीं इस साल कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी। कजरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। लेकिन इस व्रत में कुछ नियमों का पालन करना जरुरी होता है नहीं तो व्रत व्यर्थ चला जाता है। यहां पर जानें कजरी तीज पर क्या करें, क्या न करें

कजरी तीज व्रत के नियम

- कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में महिलाओं को इस दिन पति से बिना झगड़े रहना चाहिए साथ ही किसी भी प्रकार से अपशब्द ना बोलें।
- कजरी तीज के दिन पति के साथ अच्छा बर्ताव करना चाहिए। 
- इस दिन मेहंदी लगाना शुभ माना गया है सुगाहिन महिलाओं को हाथों में मेहंदी जरूर लगानी चाहिए।
- व्रत के दिन हाथों में चूड़ियां जरूर पहनें क्योंकि दिन हाथों को खाली रखना अशुभ माना गया है। 
- अगर कजरी तीज का व्रत रख रही हैं तो इस दिन अन्न-जल ग्रहण ना करें, क्योंकि इस दिन निर्जला व्रत रखने की परंपरा है। 
- ऐसा कहा गया है कि कजरी तीज के दिन व्रती महिलाओं को किसी की चुगली या निंदा नहीं करनी चाहिए क्योकि ऐसा करने से व्रत भंग होता है। 
- इस दिन घर के बड़े-बुजुर्गों का अपमान ना करें। 
- इस दिन महिलाओं को सफेद कपड़े पहनना भी अशुभ माना गया है।

ऐसे करें कजरी तीज की पूजा 

कजरी तीज के दिन सुहागन महिलाओं को चाहिए कि वह सुबह जल्दी उठे व नहां धोकर लाल या हरे रंग के कपड़े पहनें। कजरी तीज व्रत का संकल्‍प लें और पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत करें। अगर व्रती को सेहत संबंधी परेशानी है या फिर व्रती महिला गर्भवती है तो फलाहार करके कजरी तीज का व्रत कर सकती हैं।

इसके बाद नीमड़ी माता की जल, रोली और अक्षत से पूजा करें, उन्‍हें मेहंदी और श्रृंगार सामग्री, फल, फूल, मिठाई अर्पित करें। फिर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजी करें। पूजा का पूरा फल पाने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। फिर बड़ी महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें और रात में चांद निकलने से पहले पूरा श्रृंगार करके चंद्र देव को अर्घ्‍य दें। इसके बाद ही व्रत खोलें। 


संबंधित समाचार