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ज्ञानवापी परिसर सर्वे के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई शुरु, मुस्लिम पक्ष ने रखीं ये दलीलें

ज्ञानवापी परिसर सर्वे के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई शुरु, मुस्लिम पक्ष ने रखीं ये दलीलें

 

Gyanvapi Masjid Case:ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वे को लेकर इलाहबाद कोर्ट में सुनवाई सुबह शुरु हो चुकी है। बताया जा रहा है कि शाम 5 बजे तक ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर फैसला आ सकता है। फिलहाल सुनवाई जारी है और हिंदू-मुस्लिम दोनों ही पक्ष के वकील कोर्ट में मौजूद हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस मामले में सुनवाई कर रहे हैं। वहीं बीते दिन मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश की बेंच में हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष का कहना था कि अगर हिंदू पक्ष के मुताबिक ये सर्वे हुआ तो मस्जिद की पूरी इमारत ख़त्म हो जाएगी। हालांकि हिंदू पक्ष ने इस बात को गलत बताया। फिलहाल कोर्ट में सुनवाई जारी है...

जानाकारी के मुताबिक मुस्लिम पक्ष के वकील ने दलील दी कि 21 जुलाई को आदेश पारित करते समय वाराणसी की अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता, लेकिन अदालत ने इस निष्कर्ष पर आने से पूर्व अपने समक्ष आई सामग्रियों पर चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा कि निचली अदालत को सबसे पहले पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन संपूर्ण शिकायत में इस तरह के साक्ष्य का कोई जिक्र नहीं है।

मस्जिद कमेटी की ओर से ये दलीलें रखीं गई--

1. मुस्लिम पक्ष ने बताया कि 1669 में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया।

2. ज्ञानवापी मस्जिद 1000 साल से ज्यादा वहां मौजूद है।

3.कोर्ट कमिश्नर के सर्वे के दौरान शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा मिला था।

4.राम जन्मभूमि के मामले में फैसले की परिस्थितियां अलग थी. राम मंदिर का उदाहरण ज्ञानवापी के मामले में नहीं दिया जा सकता है। जिस ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे मंदिर होने की बात की जा रही है, वो मनगढ़ंत है।

5.हिंदू पक्ष की ये कल्पना है कि पश्चिमी दीवार और मस्जिद के ढांचे के नीचे कुछ मौजूद है. कल्पना के आधार पर ASI सर्वे की इजाजत नहीं दी जा सकती।

6.जिला जज द्वारा ASI सर्वे का आदेश देना गैरकानूनी है।

7. हिंदू पक्ष का दावा है कि प्लॉट नंबर 9130 पर ही 1585 में राजा टोडरमल ने मंदिर का निर्माण कराया और 1669 में उसे तोड़ दिया गया. उसी मंदिर में गौरी श्रृंगार, हनुमान और गणेश भगवान की पूजा की मांग महिलाएं कर रही हैं। 


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