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Haryana Vidhan Sabha: सीएम मनोहर लाल ने SYL और चंडीगढ़ मुद्दे पर सदन में पेश किया प्रस्ताव

Haryana Vidhan Sabha: सीएम मनोहर लाल ने SYL और चंडीगढ़ मुद्दे पर सदन में पेश किया प्रस्ताव

 

हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) के बुलाए गये विशेष सत्र (Special Session) में सबसे पहले शोक प्रस्ताव (Condolence Offer) पढ़े गये और सभी सदस्यों ने सदन में दो मिनट का मौन धारण किया तथा दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना भी की। सबसे पहले सदन के नेता व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal) ने शोक प्रस्ताव पढ़ा। सदन के नेता के बाद विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) ने शोक प्रस्ताव पढ़ा और अपनी पार्टी की तरफ से सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता (Gyan Chand Gupta) ने भी शोक प्रस्ताव पढ़ा। इसके बाद सदन में पंजाब (Punjab) द्वारा पारित चंडीगढ़ (Chandigarh) प्रस्ताव के विरोध में और एसवाईएल मुद्दे (SYL) पर प्रस्ताव पेश किया गया।

सीएम ने पेश किया ये प्रस्ताव
हरियाणा राज्य पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 (Haryana State Punjab Reorganization Act, 1966) की धारा–3 के प्रावधानों के तहत अस्तित्व में आया था। इस अधिनियम में पंजाब और हरियाणा राज्यों, हिमाचल प्रदेश (Himachal) तथा चंडीगढ़ के केन्द्रीय शासित प्रदेशों द्वारा पंजाब के पुनर्गठन (Punjab Reorganization) को प्रभावी बनाने के लिए कई उपाय किए गए थे। सतलुज–यमुना लिंक नहर (S.Y.L.) के निर्माण द्वारा रावी और ब्यास नदियों के पानी में हिस्सा पाने का हरियाणा का अधिकार ऐतिहासिक, कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक रूप से बहुत समय से स्थापित है। इस प्रतिष्ठित सदन ने एस.वाई.एल. नहर को जल्दी से पूरा करने का आग्रह करते हुए सर्वसम्मति से कम से कम सात बार प्रस्ताव पारित किए हैं। कई अनुबंधों, समझौतों, ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों और देश के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों में, सभी ने पानी पर हरियाणा के दावे को लगातार बरकरार रखा है और एस.वाई.एल. नहर को पूरा करने का निर्देश भी दिया है। इन निर्देशों और समझौतों की अवेहलना करते हुए इनके विरोध में, हरियाणा राज्य के सही दावों को अस्वीकार करने के लिए पंजाब ने कानून बनाए।

इंदिरा गांधी समझौता, राजीव लोंगोवाल समझौता और वेंकटरमैया आयोग ने पंजाब राज्य के क्षेत्र में पड़ने वाले हिंदी भाषी क्षेत्रों पर हरियाणा के दावे को स्वीकार कर लिया गया है। हिंदी भाषी गांवों को पंजाब से हरियाणा को देने का काम भी अधूरा ही रह गया है। यह सदन 1 अप्रैल, 2022 को पंजाब की विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर गहन चिंता जताई है, जिसमें यह सिफारिश की गई है कि चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने के मामले को केंद्र सरकार (Central Govt) के साथ उठाया जाए। यह हरियाणा के लोगों को मान्य नहीं है। हरियाणा ने राजधानी क्षेत्र चंडीगढ़ पर अपना अधिकार लगातार इसी तरह बरकरार रखा है। इसके अलावा, इस सदन ने इससे पहले भी संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य के एक अलग उच्च न्यायालय के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है।

केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में भाखड़ा–ब्यास प्रबंधन बोर्ड में पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की भावना के बिल्कुल खिलाफ है, जो नदी योजनाओं को, उत्तराधिकारी पंजाब व हरियाणा राज्यों की सांझा सम्पत्ति समझता है। सदन इस बात पर चिंता प्रकट करता है कि पिछले कुछ सालो से केंद्र शासित प्रदेश (UT) चंडीगढ़ के प्रशासन में हरियाणा सरकार से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की हिस्सेदारी कम हो रही है। इन परिस्थितियों में, यह सदन केंद्र सरकार से इस बात को लेकर आग्रह करता है कि वह ऐसा कोई भी कदम न उठाए, जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए और जब तक पंजाब के पुनर्गठन से उत्पन्न सभी मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बना रहे।

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