गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur Jayanti) के जन्म को आज 401 साल पूरे हो जाएंगे। उन्हें सिखों के नवें और सबसे प्रभावशाली गुरुओं में एक माना जाता है। गुरु तेग बहादुर खालसा पंथ (Khalsa Panth) शुरू करने वाले दसवें गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh) के पिता भी थे। पंजाब (Punjab) के अमृतसर (Amritsar) में 1621 ई० में पैदा हुए गुरु तेग बहादुर जी 1665 से 1675 में अपनी क़ुर्बानी तक सिखों के गुरु बने रहे।
सिख धर्म के निडर योद्धा है गुरु तेग
गुरु तेग बहादुर को सिख धर्म के निडर योद्धा का सम्मान भी मिला हुआ है। बता दें कि वे छठे गुरु हरगोबिंद (Guru Hargobind) के सबसे छोटे बेटे थे। गुरु तेग को उनकी बहादुरी के साथ-साथ उनकी विद्वता के लिए भी मान दिया जाता था। गुरु ग्रन्थ साहिब में उनके 115 भजन संकलित हैं जो कि सिख धर्म की मानद धार्मिक पुस्तक है।
धर्म की रक्षा के लिए दी कुर्बानी
गुरु तेग बहादुर जिस समय सिख धर्म की बागडोर को संभाल रहे थे, उस वक्त मुगलों के प्रादुर्भाव का वक़्त चल रहा था। देश की आधे से ज्यादा आबादी पर छठे मुग़ल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) का शासन था। औरंगजेब न सिर्फ अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे था बल्कि बड़े पैमाने पर देश भर की जनता को धर्म परिवर्तन के लिए भी मजबूर कर रहे था। लेकिन कोई भी औरंगजेब के इस हुक्म को मानने को तैयार नहीं था। सभी सिख लगातार सिख धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे। यही कारण था कि औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर की हत्या करने का फैसला किया।
दिल्ली में शहीद हुए थे गुरु तेगबहादुर
औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली (Delhi) में गुरु तेग बहादुर के सर को कलम कर दिया गया। आज दिल्ली में उस जगह पर पवित्र शीश गंज साहिब (Gurudwara Sis Ganj Sahib) और रकाब गंज साहिब गुरुद्वारे (Gurdwara Rakab Ganj Sahib) मौजूद है, जहां लोग उनके दर्शन को आते हैं। इस दोनों गुरुद्वारों को उनकी शहीदी से जोड़ा जाता है।
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