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भूपेंद्र हुड्डा ने सरकार से की किसानों को सरसों की खराब हुई फसल का मुआवजा देने की मांग

भूपेंद्र हुड्डा ने सरकार से की किसानों को सरसों की खराब हुई फसल का मुआवजा देने की मांग

 

हरियाणा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरसों की पाले के कारण खराब हुई फसल का किसानों को तत्काल मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पाले की मार से पूरे प्रदेश में 70-90 प्रतिशत तक फसल खराब हो चुकी है, लेकिन अभी तक राज्य की भाजपा-जजपा सरकार ने न तो गिरदावरी कराई और न ही मुआवजे का एलान किया।

हुड्डा ने कहा कि सरकार विलम्ब किए किसानों को नुकसान की भरपाई करे। उन्होंने कहा कि 2020 की खरीफ फसल के मुआवजे की मांग को लेकर किसान आज तक कई जगह धरना दे रहे हैं। गत कई सीजन से या तो किसानों को मुआवजे की नाम मात्र राशि थमाई गई या उन्हें यह मिली ही नहीं।

वहीं, भूपेंद्र हुड्डा ने आरोप लगाया कि सरकार और बीमा कम्पनियां किसानों का सैंकड़ों करोड़ रुपये डकार चुकी हैं। हर सीजन में बीमा कम्पनियों को प्रीमियम देने के बाद भी किसानों के हाथ खाली रहते हैं। जबकि बीमा कम्पनियां हरियाणा से 40 हजार करोड़ से ज्यादा का भारी-भरकम मुनाफा कमा चुकी हैं। सरकार के संरक्षण में किसानों के पैसों पर बीमा कम्पनियां चांदी कूट रही हैं।

उन्होंने ने दावा किया कि प्रदेश का किसान बर्बादी की कगार पर है। केंद्र की रिपोर्ट अनुसार देश के हर किसान परिवार पर इस समय औसतन 74121 रूपये कर्ज है। जबकि हरियाणा के किसान पर उससे लगभग ढ़ाई गुणा ज्यादा 1.82 लाख रुपये कर्ज है। कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा कृषि और विकास के मामले में अव्वल था लेकिन आज कर्ज के मामले में अग्रणी राज्यों में शुमार है।

इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने बाजरे को भावंतर भरपाई योजना के तहत खरीदने का एलान किया था, लेकिन न तो किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिला और न ही अभी तक भावांतर के तहत उनके नुकसान की भरपाई की गई। उनका सरकार की तरफ आज भी 120 करोड़ रुपया बकाया है। इसी तरह सरकार ने फसल विविधिकरण के तहत धान छोड़कर मक्का उगाने पर किसानों को सात हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया था। वह भी किसानों को आज तक नहीं मिला।

उन्होंने आगे कहा कि धान से लेकर गेहूं घोटाले में आज तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। चार जिलों में 42 हजार टन गेंहू सड़ने का मामला आज भी लम्बित है। जांच के लिए गठित कमेटी को 30 दिनों में रिपोर्ट देकर कार्रवाई करनी थी। लेकिन आज 80 दिन बीत जाने के बावजूद नतीजा शून्य है।


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