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अपनी ही बेटी को अपवित्र करने वाला पिता रहम का हकदार नहीं - पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट

अपनी ही बेटी को अपवित्र करने वाला पिता रहम का हकदार नहीं - पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट

 

हर बच्चा अपने पिता को शारीरिक व भावनात्मक रूप से एक रक्षक की तरह देखता है, लेकिन इस मामले में अपनी वासना के लिए एक पिता ने अपनी ही बेटी को अपवित्र कर दिया। इस तरह के कर्म करने वाले दोषी व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का कोई रहम नहीं किया जा सकता है। इन टिप्पणियों के साथ ही ट्रायल कोर्ट (Trial Court) की ओर से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने सुनाई गई 13 साल की सजा को बरकरार रखते हुए दोषी पिता की अपील को सिरे से खारिज कर दिया।

दरअसल, कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) निवासी पिता ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए बताया कि कुरुक्षेत्र की ट्रायल कोर्ट ने उसे जून 2016 में उसकी बेटी से दुष्कर्म का दोषी मानते हुए 13 साल की सजा सुनाई थी। आरोप के मुताबिक, याची पत्नी के घर पर ना होने का फायदा उठाकर अपनी 8वीं में पढ़ने वाली 15 साल की बेटी से आए दिन दुष्कर्म करता था। यह बात उसकी बेटी ने जब अपनी शिक्षिका को बताई, तो उस पर  एफआईआर दर्ज कर मामले में आगे की जांच शुरू की गई।

याची ने कहा कि इस मामले में उसे किसी ने फंसाया है और पुलिस के पास इस केस को लेकर कोई ठोस सबूत भी नहीं है। वहीं, इस मामले में पीड़िता भी अपने बयान से मुकर चुकी है और ऐसे में याची को दोषी करार देने का फैसला बिल्कुल गलत था। पीड़िता ने कोर्ट में यह साफ कहा था कि वह दुष्कर्म का मतलब नहीं जानती है और न ही उसे इस शिकायत के बारे में कोई जानकारी है। पुलिस ने जो उसे कहा, उसने वह पेपर पर लिख दिया था। उसके पिता ने उसे सिर्फ कंधे पर हाथ रखकर घर के काम के लिए बोला था।

हाईकोर्ट (High Court) ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में पुलिस ने पीड़िता की दो शिक्षिकाओं के बयान दर्ज किए थे। बयान में उन्होंने कहा था कि पीड़िता ने उन्हें बताया था कि उसका पिता उसके साथ चार बार बलात्कार कर चुका है। हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा साक्ष्यों को देखते हुए पीड़िता के मुकरने के बाद भी सजा के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं, जिससे याची को दोषी ठहराया जा सके। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही कुरुक्षेत्र की ट्रायल कोर्ट के फैसले पर मोहर लगाते हुए पिता द्वारा दाखिल अपील को सिरे से खारिज कर दिया। 

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