साध्वियों के यौन शोषण के मामले में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम को मिलने वाली पैरोल को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। हाईकोर्ट ने राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने को लेकर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही यह भी कहा है कि बिना इजाजत डेरा प्रमुख को आगे पैरोल न दें। इस मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि राम रहीम को 2022 और 2023 में, प्रत्येक में 91 दिनों के लिए रिहा किया गया था। यह तीन मामलों में दोषी ठहराए गए राम रहीम की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए "दिलचस्प रीडिंग" है।
पीठ ने कहा, "यह भी ध्यान देने योग्य है कि मौजूदा याचिका के लंबित होने के बावजूद, जिसमें 29 जनवरी, 2023 को प्रस्ताव का नोटिस जारी किया गया था, हरियाणा सरकार ने 20 जुलाई, 2023 को, 21 नवंबर, 2023 और इससे पहले 19 जनवरी, 2014 को 30, 21 और 50 दिनों की अवधि के लिए उसे पैरोल की छूट देने का विकल्प चुना।"
वहीं, पीठ ने हरियाणा से ''ऐसे आपराधिक इतिहास वाले और तीन मामलों में सजा पाए'' ऐसे कई व्यक्तियों को लाभ देने पर एक हलफनामा पेश करने को कहा। बता दें कि अदालत का हस्तक्षेप शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा अस्थायी रिहाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया।