बिहार सरकार ने मंगलवार के दिन जातिगत जनगणना का आर्थिक सर्वे प्रस्तुत किया। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने विधानसभा में जातिगत जनगणना के आधार पर प्रदेश में नौकरियों में भी हर वर्ग कि हिस्सेदारी के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण करने का प्रस्ताव दिया। जिसके बाद मंगलवार की शाम को मंत्रीमंडल के साथ चर्चा के बाद आरक्षण विधेयक 2023 के प्रारूप को स्वकृति दे दी गयी।
बिहार सरकार विधानसभा के इसी शीतकालीन सत्र के दौरान ही विधेयक को प्रस्तुत करेगी। बिहार सरकार प्रदेश में मौजूदा SC, ST, OBC और EWS के 50 प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर अब 75 प्रतिशत करना चाहती है।
वहीं सरकार OBC और EBS के आरक्षण को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 43 प्रतिशत, SC के 16 प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर अब 20 प्रतिशत, ST के 1 प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर अब 2 प्रतिशत करेगी और EWS का 10 प्रतिशत का आरक्षण पहले के समान ही रहेगा।
विधानसभा में रखे गए आर्थिक और शिक्षा के आंकड़ो में बताया गया कि बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी कुल 15 प्रतिशत है और सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं। प्रदेश में नौकरियों के मामले में दूसरे नंबर पर 63 प्रतिशत आबादी वाला पिछड़ वर्ग है। पिछड़ वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं। तीसरे नंबर SC जातियां हैं जिनके पास कुल 2 लाख 91 हजार नौकरियां हैं।इस जनगणना के आंकड़ो में बताया गया कि।
बिहार में मौजूद कुल 2 करोड़ 97 लाख परिवारों में से 94 लाख परिवार (34.13 प्रतिशत) की आय 6000 रूपए मासिक से भी कम है। 43.93 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक अनुसूचित जातियों के परिवार गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं। वहीं OBC परिवारों के 33.16 प्रतिशत, EBC परिवारों के 33.58 प्रतिशत और समान्य वर्ग के एक-चौथाई परिवार गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे हैं।