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धरती पर 8 रुपों में विराजमान हैं भोलेनाथ, विस्तार से जानें शिव की इन प्रतिमाओं के बारे में...

धरती पर 8 रुपों में विराजमान हैं भोलेनाथ, विस्तार से जानें शिव की इन प्रतिमाओं के बारे में...

 

Statue Of Lord Shiva : महादेव यानि भगवान शिव, लेकिन  क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव का महादेव केवल एक रुप है। इस धरती पर अन्य 7 रुप और विराजमान है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान शिव के 8 रुप है जो इस प्रकार से है- शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव। चलिए मूर्तियों के इन 8 रुपों के बारे में जानते हैं विस्तार से।

1. शर्व (क्षितिमूर्ति )

भगवान शिव के इस रुप का अर्थ है कि पूरे जगत को धारण करने वाली मूर्ति, यानि 'पृथ्वीमयी मूर्ति' के स्वामी शर्व है। शर्व का अर्थ है भक्तों के सारे कष्टों को हरने वाला।  

2. भीम (आकाशमूर्ति )

भगवान शिव के इस रुप का अर्थ आकाशरूपी मूर्ति, जो बुरे और तामसी गुणों का नाश कर पूरे संसार को राहत देने वाली देते है। इसके स्वामी भीम है। भीम नाम का अर्थ भयंकर रूप वाले भी हैं, जो उनके भस्म से लिपटी देह, जटाजूटधारी, नागों के हार पहनने से लेकर बाघ की खाल धारण करने या आसन पर बैठने सहित कई तरह से उजागर होता है। इसलिए ये रुप भैमी नाम से भी प्रसिद्ध है। 

3. उग्र (वायुमूर्ति)

भगवान शिन के इस रुप का अर्थ है वायु यानि इस रुप में प्रभु पूरे जगत को गति देते हैं और पालन-पोषण भी करते हैं। इसके स्वामी उग्र है, इसलिए यह मूर्ति औग्री के नाम से भी  जानी जाती है। उग्र नाम का मतलब बहुत ज्यादा उग्र बताया गया है। शिव के तांडव नृत्य में उग्र शक्ति स्वरुप उजागर होता है।

4. भव (जलमूर्ति)

भगवान शिव के इस रुप का अर्थ है कि जल से युक्त मूर्ति पूरे जगत को प्राणशक्ति और जीवन देने वाली है। भव यानि जल। शास्त्रों में भी भव नाम का मतलब पूरे संसार के रूप में ही प्रकट होने वाले देवता बताया गया है।

5. पशुपति (यजमानमूर्ति)

भगवान शिव के इस रुप का अर्थ है यजमानमूर्ति, यानि भगवान शिव का  यह रुप सभी पशुवत वृत्तियों का नाश और उनसे मुक्त करने वाली होती है। पशुपति का अर्थ है पशुओँ के स्वामी, जो संसार के पशुओं की  रक्षा व पालन करते हैं। यह सभी आंखो में बसी होकर सभी आत्माओं की नियंत्रक भी मानी गई है।

6. रुद्र(अग्निमूर्ति) 

भगवान शिव के इस रुप का अर्थ है कि पूरे जगत के अंदर और बाहर फैली समस्त ऊर्जा व गतिविधियों में स्थित है। भगवान की इस की यह मूर्ती बहुत ही ओजस्वी है। इसके स्वामी रूद्र है। इसलिए यह रौद्री नाम से भी जानी जाती है। रुद्र नाम का अर्थ भयानक भी बताया गया है। इस रुप में भगवान शिव तामसी व दुष्ट प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखते हैं।

7. ईशान ( सूर्यमूर्ति )

भगवान शिव के इस रुप का अर्थ है सूर्य जगत की आत्मा जो जगत को प्रकाश करता है। शिव की यह दिव्य मूर्ति  
ईशान कहलाती है। ईशान रूप में शिव ज्ञान व विवेक देने वाले बताए गए हैं।

8. महादेव (चंद्रमूर्ति)

भगवान शिव के इस रुप का अर्थ है देवों के देव महादेव होता है। चन्द्र रूप में भगवान शिव की यह साक्षात मूर्ति मानी गई है। चन्द्र किरणों को अमृत के समान माना गया है। चन्द्र रूप में शिव की यह मूर्ति महादेव के रूप में प्रसिद्ध है। यानी सारे देवताओं में सबसे विलक्षण स्वरूप व शक्तियों के स्वामी शिव ही हैं।


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