होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
सेहत
नॉलेज
फैशन/लाइफ स्टाइल
अध्यात्म

 

रक्षाबंधन पर भद्रा काल अब खत्म, बहनें बांध सकती है भाइयों को राखी

रक्षाबंधन पर भद्रा काल अब खत्म, बहनें बांध सकती है भाइयों को राखी

 

Raksha Bandhan 2024 Shubh Muhurat: आज भाई बहन के प्रेम के प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन पूरे देश में मनाया जा रहा है। हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता। लेकिन इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसा माना जाता है कि जब भद्रा होती है तो इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है। 
 

2024 भद्राकाल और शुभ मुहूर्त 

आज रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार है, लेकिन सुबह से ही भद्राकाल लगने के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 32 मिनट के बाद ही था इस तरह से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 32 मिनट के बाद से लेकर रात 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।  
 

क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन शब्द का अर्थ है 'रक्षा' और 'बंधन', अर्थात भाई अपनी बहन की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेता है और बहन भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती है। शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं।
 

श्रीकृष्ण-द्रौपदी से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई । यह देखकर द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़कर चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण,द्रौपदी से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने का वादा किया। उन्होंने यह वादा तब पूरा किया जब द्रौपदी को हस्तिनापुर के शाही दरबार में सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा।
 

इंद्र-इंद्राणी से जुड़ी कथा

शास्त्रों के अनुसार एक बार देव और असुरों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब असुर, देवताओं  पर भारी पड़ने लगे। ऐसे में देवताओं को हारता देख देवेंद्र इन्द्र घबराकर ऋषि बृहस्पति के पास गए। तब बृहस्पति के सुझाव पर इन्द्र की पत्नी इंद्राणी (शची) ने रेशम का एक धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। जिसके फलस्वरूप इंद्र विजयी हुए। कहते हैं कि तब से ही पत्नियां अपने पति की कलाई पर युद्ध में उनकी जीत के लिए राखी बांधने लगी
 

मां लक्ष्मी-राजा बलि से जुड़ी

कथा के अनुसार असुरराज दानवीर राजा बलि ने देवताओं से युद्ध करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था और ऐसे में उसका अहंकार चरम पर था। इसी अहंकार को चूर-चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अदिति के गर्भ से वामन अवतार लिया और ब्राह्मण के वेश में बलि के द्वार भिक्षा मांगने पहुंच गए। चूंकि राज बलि महान दानवीर थे तो उन्होंने वचन दे दिया कि आप जो भी मांगोगे मैं वह दूंगा।

यह भी पढ़ें- रक्षाबंधन के लिए कम समय में बनाएं नारियल बर्फी, स्वाद के आगे हर मिठाई है फेल


संबंधित समाचार