IPC-CRPC Replacement Bill:अगर हम किसी छोटे बच्चे से भी पूछ लें कि 420 क्या होता है? तो आराम से कोई भी बता देगा 420 मतलब धोखेबाज। हालांकि घर परिवारों में ये प्रचलित धारा बदलने वाली है। जी हां, 302 और 420 जैसे चर्चित कानूनों के कोड बदलने वाले हैं।
दरअसल, मोदी सरकार तीन नए बिल लेकर आई है जिसमें कानूनों को नए रूप में नए नंबर के साथ जगह दी गई। गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल पेश किया है। इसमें IPC और CrPC की कई धाराओं को बदलने का प्रस्ताव रखा गया है। इस बिल में आपराधिक दंड संहिता में पूरी तरह से परिवर्तन होगा। अब IPC को भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा। इसके अलावा धारा 420, 302 और 144 जैसी धाराओं को भी बदला जाएगा। सरकार का कहना है कि इन बिलों को मौजूदा समय के अहमियत के हिसाब से पेश किया गया है।
इस लेख में आइए जानते हैं, भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद कौन सी धाराओं को बदल दिया जाएगा...
किस कानून में कितनी धाराएं
1.भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता CrPC को रिप्लेस करेगी। इसमें अब 533 धाराएं रहेंगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है।
2.भारतीय न्याय संहिता IPC को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।
3.भारतीय साक्ष्य विधेयक Evidence Act को रिप्लेस करेगा। इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं।
IPC-CrPC के नए वर्जन क्या क्या हुए बड़े बदलाव ?
राजद्रोह हटाया गया: बिल के प्रस्ताव को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि देशद्रोह के कानून को रद्द किया जाएगा। कारण ये है कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है और यहां हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है।
हालांकि राजद्रोह हटा दिया गया है लेकिन नए प्रावधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति इरादतन या जानबूझकर। अपने बोलने, लिखने, संकेत देने से अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को उकसाता की कोशिश करता है या देश की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने का प्रयास करता है या उस काम में शामिल होता हो तो ऐसी स्थिति में आरोपी को कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास सजा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की सजा: अगर यह बिल कानून की शक्ल लेता है तो नाबालिग बच्चे के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा देने का प्रावधान है। किसी महिला से गैंगरेप करने पर 20 साल तक की जेल की सजा मिल सकती है।
प्यार के नाम पर धोखा संगीन जुर्म: नए प्रस्तावित बिल के अनुसार किसी भी महिला के साथ प्यार-मोहब्बत के नाम पर धोखेबाजी करना संगीन जुर्म माना जाएगा। अगर कोई भी व्यक्ति अपनी धार्मिक पहचान छुपा कर किसी महिला से शादी करने की कोशिश करता है या शादी करता है तो उसे 10 साल की सजा भुगतनी होगी. इसके अलावा कोई भी पुरुष किसी भी महिला के साथ शादी का वादा कर, प्रमोशन दिलवाने का वादा कर या नौकरी दिलाने का झूठा वादा कर संभोग करता है तो ऐसी स्थिति में उसे कम से कम 10 साल की सजा होने का प्रावधान है।
मॉब लिंचिंग पर सजा: इस प्रस्तावित विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या से जोड़ा गया है. विधेयक के अनुसार जब 5 या 5 से ज्यादा लोगों समूह साथ मिलकर किसी का नस्ल, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर हत्या करता है, तो ऐसी स्थिति में इस अपराध में शामिल हर व्यक्ति को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा. इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
आतंकवाद को किया गया परिभाषित: भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली बार आतंकवाद शब्द की परिभाषा बताई गई है जो की वर्तमान में आईपीसी में शामिल नहीं था।
स्नैचिंग पर सजा: भारतीय न्याय संहिता में धारा 302 के अनुसार "स्नैचिंग" पर को लेकर एक नया प्रावधान किया गया है।इसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति स्नैचिंग करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा और जुर्माना देना होगा।
रेप पीड़िता की पहचान बताना अपराध: नए कानून में किसी भी रेप पीड़िता की पहचान को सबके सामने लाने वालों पर भी सजा का प्रावधान है। दरअसल धारा 72. (1) के तहत कोई भी व्यक्ति रेप पीड़िता का नाम या कोई भी ऐसी चीज सबके सामने लाता है जिससे पीड़िता को पहचाना जाए। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के खिलाफ धारा 63 से 68 तक सजा दी जा सकती है। आरोपी को किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
कोर्ट होंगे डिजिटलाइज: नए प्रावधानों के अनुसार आने वाले समय में एफआईआर लिखने से जजमेंट तक सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। गृहमंत्री ने इसे पेश करते वक्त कहा कि साल 2027 तक देश के सभी कोर्ट को डिजिटाइज कर दिया जाएगा।ताकि कहीं से भी जीरो एफआईआर रजिस्टर किया जा सके। इसके अलावा किसी की भी गिरफ्तारी के साथ ही उसके परिवार को भी सूचित कर दिया जाएगा। 180 दिन के जांच समाप्त कर ट्रायल के लिए भेजना होगा।