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UP की 9 विधानसभा सीटों पर मतदान, सपा और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर

UP की 9 विधानसभा सीटों पर मतदान, सपा और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर

 

UP By Election 2024:  उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान जारी है। इस बार की वोटिंग में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी समाजवादी पार्टी की साख दांव पर है। उत्तर प्रदेश में जिन नौ विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें कटेहरी (अंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर शहर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं।

वहीं, इन सीटों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। इनमें से आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ में मौजूदा सपा विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हो रहा है।

विधानसभा उपचुनाव में सुबह 9 बजे तक मतदान के आंकड़े इस प्रकार हैं-

-गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) 5.36% 
-सीसामऊ (उत्तर प्रदेश) 5.73% 
-मझावां (उत्तर प्रदेश) 10.55% 
-मीरापुर (उत्तर प्रदेश) 13.01% 
-खैर (उत्तर प्रदेश) 9.03% 
-फूलपुर (उत्तर प्रदेश) 8.83% 
-कुंदरकी (उत्तर प्रदेश) 13.59% 
-करहल (उत्तर प्रदेश) 9.67% 
-कटेहरी ( उत्तर प्रदेश) 11.48% 

बता दें कि उपचुनाव में कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं। सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। वहीं, सबसे कम पांच-पांच उम्मीदवार खैर (सुरक्षित) और सीसामऊ सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी सीटों पर सपा ने जीत हासिल की थी जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर पर जीत हासिल की थी। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल के पास थी, जो अब भाजपा की सहयोगी है। कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है और इंडिया गठबंधन की अपनी सहयोगी सपा का समर्थन कर रही है।

बहुजन समाज पार्टी अपने दम पर सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सीसामऊ को छोड़कर सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। 

उपचुनावों के नतीजों का 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह विभिन्न राजनीतिक दलों को एक संदेश देगा। सपा जहां सदन में अपनी संख्या बढ़ाने का लक्ष्य रखेगी, वहीं भाजपा और उसकी सहयोगी रालोद विधानसभा में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश करेगी।
 


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